क्या होता है ऋण मोचक स्तोत्र:
ये एक ख़ास प्रकार का स्त्रोत है जिसका उल्लेख स्कन्द पूरण में मिलता है. इसके नित्य पाठ से हम अपने जीवन को सुगम बना सकते हैं. इसमें भगवान् मंगल के शक्ति की व्याख्या की गई है और ऐसी मान्यता है की उनकी कृपा से स्वस्थ और संपन्न जीवन आसानी से जिया जा सकता है. ऋण मोचक स्त्रोत्र का पाठ सफलता के रास्ते खोल देता है.
ऋण हर्ता स्तोत्र के फायदे :
1.    इसके जप से व्यक्ति कर्जे से छुटकारा पा सकता है.
2.    धनागमन में जो बाधाएं आ रही है उनको दूर किया जा सकता है.
3.    कोई भी व्यक्ति मंगल की कृपा से शक्ति प्राप्त कर सकता है जिससे की कार्यो को सुचारू रूप से कर सके.
4.    कोई भी व्यक्ति संतोषजनक धन प्राप्त करने के रास्ते खोल सकता है.
5.    ऋण मोचक स्तोत्र के पाठ से कुज दोष या मंगल दोष को भी कम कर सकते हैं.
6.    ऋण मोचक स्तोत्र के पाठ से मंगल के नकारात्मक प्रभाव से भी छुटकारा पाया जा सकता है.
आइये जानते है इस प्रयोग के लिए किन चीजो की जरुरत होती है:
1.    एक सिद्ध मंगल यन्त्र
2.    एक लाल आसन
3.    सिद्ध मुंगे की माला या फिर रुद्राक्ष माला.
4.    ऋण मोचक स्तोत्र
5.    सकारात्मक सोच और आत्मशक्ति ऋण से बहार आने के लिए.

अगर कोई बिना कर्ज के जीवन जीना चाहते हैं तो ये प्रयोग बहुत लाभदायक हो सकता है, अगर धन आगमन के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं तो भी ऋण मोचक स्तोत्र का पाठ लाभ दे सकता है.
 ऋण मोचक साधना 
 सबसे पहले एक समय निश्चित करे और सिद्ध मंगल यन्त्र की स्थापना करके धुप, दीप, नैवेद्य भेट करके संकल्प लेकर, ध्यान करके फिर मन्त्र का जप करके स्त्रोत पाठ करना चाहिए. पाठ के बाद मंगल के 21 नामो के साथ मंत्र पाठ करे फिर कर्ज से मुक्ति के लिए प्रार्थना करना चाहिए.
नीचे पढ़िए मंगल स्तोत्र संकल्प, धयान, मंत्र के साथ:
संकल्प :
“श्री गणेशाय नमः | ॐ अस्य श्रीमंगल स्त्रोत मंत्रस्य विरूपाक्ष ऋषिः अनुष्टुप छन्दः ऋणहर्ता स्कन्दो देवता धन्प्रदो मंगलोधिदेवता मं बीजं गं शक्तिः लं कीलकं समाभीष्ट सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ||
ध्यान :
रक्त्माल्याम्बरधरः शूल्शाक्तिगदाधरः |
चतुर्भुजो मेषगतो वर्दश्च  धरासुतः ||
मन्त्र :
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः मंगलाय नमः |
॥ऋणमोचन मंगल स्तोत्र॥
मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरासनो महाकाय: सर्वकामविरोधक: ॥१॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकर:।
धरात्मज: कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन: ॥२॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:।
वृष्टि कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद: ॥३॥
एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥४॥
॥इति श्रीस्कन्दपुराणे भार्गवप्रोक्तं ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम् सम्पूर्णम्॥
 
 
मंगल के 21 नामो के साथ मंत्र :

“ॐ क्रां क्री क्रौं सः मंगलाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः भूमिपुत्राय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः ऋण हर्त्रे नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः धन प्रदाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः स्थिरासनाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः महाकायाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः सर्व कर्मावरोधाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः लोहिताय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः लोहिताक्षाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः सामगानांकृपाकराय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः धरात्मजाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः कुजाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः भौमाय नमः |
 “ॐ क्रां क्री क्रौं सः भूतदाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः भूमिनन्दनाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः अंगारकाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः यमाय नमः 
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः सर्व रोगापहारकाय नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः वृष्टि कर्त्रे नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः आपद्धर्त्रे नमः |
“ॐ क्रां क्री क्रौं सः सर्व काम फलप्रदाय नमः |