जानिए सातमुखी रुद्राक्ष के लाभ और प्रयोग

रुद्राक्ष को भारत में बेहद पवि़त्र माना जाता है। शिव पुराण में रुद्राक्ष के 38 प्रकार बताए गए हैं। इसमें कत्थई रंग के 12 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पति सूर्य के नेत्रों से, श्वेत रंग के 16 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पति चंद्र के नेत्रों से तथा कृष्ण वर्ण वाले 10 प्रकार के रुद्राक्षों की उत्पत्ति अग्नि के नेत्रों से मानी जाती है, ये ही इसके 38 भेद हैं। शिव पुराण में रुद्राक्ष के महत्व पर लिखा गया है कि संसार में रुद्राक्ष की माला की तरह अन्य कोई दूसरी माला फलदायक और शुभ नहीं है। हमारी भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रूद्र के अक्ष अर्थात् रूद्र की आंख से निकले अश्रु बिंदु को रुद्राक्ष कहा गया है। आपने साधु-संतों को रुद्राक्ष की माला पहने या रुद्राक्ष की माला से जप करते हुए देखा होगा। ज्योतिष विज्ञान के अनेक जानकार भी समस्या के निवारण के लिए रुद्राक्ष पहनाते हैं। अनेक रोगों के लिए भी रुद्राक्ष की माला बिना जाने पहन लेते हैं या फिर इसका मजाक उड़ाते हैं।रुद्राक्ष का मानव शरीर से स्पर्श महान गुणकारी बतलाया गया है । इसकी महत्ता शिवपुराण, महाकालसंहिता, मन्त्रमहार्णव, निर्णय सिन्धु, बृहज्जाबालोपनिषद्, लिंगपुराणव कालिकापुराण में स्पष्ट रूप से बतलाई गई है ।

चिकित्सा विज्ञान की बात करें तो रुद्राक्ष के उपयोग से स्नायु रोग, स्त्री रोग, गले के रोग, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), मिरगी, दमा, नेत्र रोग, सिर दर्द आदि कई बीमारियों में लाभ होता है। दाहिनी भुजा पर रुद्राक्ष बांधने से बल व वीर्य शक्ति बढती है । वात रोगों का प्रकोप भी कम होता है । कंठ में धारण करने से गले के समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं, टांसिल नहीं बढता । स्वर का भारीपन भी मिटता है । कमर में बांधने से कमर का दर्द समाप्त हो जाता है ।। रुद्राक्ष के फल पेड़ पर लगते हैं। ये पेड़ दक्षिण एशिया में मुख्यत: जावा, मलेशिया, ताइवान, भारत एवं नेपाल में पाए जाते हैं। भारत में ये असम, अरूणाचल प्रदेश और देहरादून में पाए जाते हैं। रुद्राक्ष के फल से छिलका उतारकर उसके बीज को पानी में गलाकर साफ किया जाता है और रुद्राक्ष निकाला जाता है।

रुद्राक्ष को शुद्ध जल में तीन घंटे रखकर उसका पानी किसी अन्य पात्र में निकालकर, पहले निकाले गए पानी को पिने से बेचैनी, घबराहट, मिचली व आंखों का जलन शांत हो जाता है । दो बूंद रुद्राक्ष का जल दोनों कानों में डालने से सिरदर्द में आराम मिलता है । रुद्राक्ष का जल हृदय रोग के लिए भी लाभकारी है । चरणामृत की तरह प्रतिदिन दो घूंट इस जल को पीने से शरीर स्वस्थ रहता है । इस प्रकार के अन्य बहुत से रोगों का उपचार रुद्राक्ष से, आयुर्वेद में वर्णित है ।।

सात मुखी रुद्राक्ष को माँ लक्ष्मी की कृपा से भरपूर माना गया है | कामदेव का स्वरुप पाने वाला यह रुद्राक्ष अनन्त नाम से जाना गया है | महाशिवपुराण के अनुसार स्वर्ण आदि धातुओं की चोरी या बेईमानी करने के पाप से मुक्ति प्रदान करने में यह रुद्राक्ष सहायक माना गया है |कहते हैं रुद्राक्ष जितना छोटा हो, यह उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाने में सहायक होता है रुद्राक्ष, लेकिन हर चाहत के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण किया जाता है।

भारत में रुद्राक्ष का सिर्फ धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व नहीं है बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। शिव के अंश के तौर पर ज्योतिषियों ने खगोलीय गणना के हिसाब से हर मुख वाले रुद्राक्ष का अलग-अलग महत्व बताया है। शिव पुराण में स्वयं शिव ने सभी रुद्राक्षों का अलग-अलग महत्व बताया है। एकमुखी रुद्राक्ष को शिव ने अपना ही रूप बताया है और इसे भोग और मोक्ष रूपी फल देने वाला माना है। इस रुद्राक्ष को आक्षेय तिथि को अभिमंत्रित करके पूजा में रखने से लक्ष्मी के नहीं रूठने और घर में शांति आने की बात कहीं गई है।

वेसे, रुद्राक्ष संबंधी कुछ नियम भी हैं, जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए। इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए। कहते हैं, जो पूरे नियमों का ध्यान रख श्रद्धापूर्वक रुद्राक्ष को धारण करता है, उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है कि जिन घरों में रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। यह भगवान शंकर की प्रिय चीज मानी जाती है।

जानिए सात मुखी रुद्राक्ष धारण के लाभ

एैसे मनुष्य जिनका भाग्य उनका साथ नहीं देता और नौकरी या व्यापार में अधिक लाभ नहीं होता एैसे जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसके धारण से धन का अभाव व् दरिद्रता दूर होकर व्यक्ति को धन, सम्पदा, यश, कीर्ति एवं मान सम्मान की भी प्राप्ति होती है चूँकि इस रुद्राक्ष पर लक्ष्मी जी की कृपा मानी गई है और लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की भी पूजा का विधान है इसलिए इस रुद्राक्ष को गणपति के स्वरुप आठ मुखी रुद्राक्ष के साथ धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है | ग्रन्थों के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष पर शनि देव का प्रभाव माना गया है इसलिए जो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान हों या जोड़ो के दर्द से परेशान हों उनके लिए शनि देव की कृपा प्राप्त होने के कारण से यह रुद्राक्ष लाभदायक हो सकता है | सात मुखी होने के कारण से शरीर में सप्त धातुओं की रक्षा करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को दुरुस्त करता है |यह गठिया दर्द ,सर्दी, खांसी, पेट दर्द ,हड्डी व मांसपेशियों में दर्द ,लकवा ,मिर्गी ,बहरापन ,मानसिक चिंताओं ,अस्थमा जैसे रोगों पर नियंत्रण करता है । इसके अतिरिक्त यौन रोगों ,हृदय की समस्याओं ,गले के रोगों में भी फायदेमंद है ।
सात मुख वाले रुद्राक्ष पहनने मात्र से ही सप्त ऋषियों का सदा आशीर्वाद रहता है ,जिससे मनुष्य का सदा कल्याण होता है । इसके साथ ही यह सात माताओं ब्राह्मणी ,माहेश्वरी कौमारी ,वैष्णवी ,इन्द्राणी ,चामुण्डा का मिला -जुला रूप भी है । इन माताओं के प्रभाव से यह पूर्ण ओज ,तेज ,ज्ञान ,बल तथा सुरक्षा प्रदान करके आर्थिक ,शारीरिक तथा मानसिक परेशानियों को दूर करता है । यह उन सात आवरणों का भी दोष मिटाता है जिससे मानव शरीर निर्मित होता है ,यथा-पृथ्वी ,जल ,वायु , अग्नि ,आकाश ,महत्व तथा अहंकार । सात मुख वाला रुद्राक्ष धन -सम्पति ,कीर्ति तथा विजयश्री प्रदान करने वाला होता है । इसको धारण करने से धनागमन बना रहता है ,साथ ही व्यापर ,नौकरी में भी उन्नति होती है । यह रुद्राक्ष सात शक्तिशाली नागों का भी प्रिय है ।

सात मुखी रुद्राक्ष साक्षात अनंग स्वरूप है ,अनंग को कामदेव के नाम से भी जाना जाता है ,इसलिए इसको पहनने से मनुष्य स्त्रियों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है और पूर्ण स्त्री -सुख मिलता है । इसको पहनने से स्वर्ण चोरी के पाप से मुक्ति मिलती है । सात मुखी रुद्राक्ष महालक्ष्मी का स्वरूप माना गया है । यह शनि द्वारा संचालित होता है । आर्थिक शारीरिक और मानसिक विपत्तियों से ग्रस्त लोगों के लिए यह कल्पतरु के सामान है । किसी भी तरह की विषाक्ता से ग्रस्त व्यक्ति यदि इसे धारण करें तो वह इस कष्ट से मुक्ति अवश्य प्राप्त करता है । ज्योतिष के अनुसार मारक ग्रह की दशा होने पर इसे धारण कर सकते हैं । यह रक्षा कवच का कार्य करता है और व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्त हो जाता है ।

सात मुखी रुद्राक्ष के फायदे

—-जो लोग कोर्ट-कचहरी के मामलों में फंसे हों या जो जातक शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या शनि की महादशा से प्रभावित हैं उनके लिए यह रुद्राक्ष एक बेहद उपयोगी माना गया है।
—-सातमुखी रुद्राक्ष पहनने से प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है तथा यश व कीर्ति में वृद्धि होती है।
— सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आर्थिक स्थिति में मजबूती आती है, एवं मन शान्त रहता है।
—महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए इस रुद्राक्ष की माला को धारण करना लाभकारी माना जाता है।
—सातमुखी रुद्राक्ष पहनने से गणेश व लक्ष्मी जी की विशेष कृपा बनी रहती है, जिसके कारण घर व परिवार में सुख व समृद्धि बनी रहती है।
—– नौकरी वाले जातक यदि सातमुखी रुद्राक्ष धारण करते है, तो उनके कैरियर में प्रगति होती है तथा उनका बॉस काफी प्रभावित रहता है।
—स्नायु तन्त्र से सम्बन्धित रोगों में सातमुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ मिलता है।
— सातमुखी रुद्राक्ष को पहनने से शनि ग्रह से सम्बन्धित दोषों जैसे साढ़ेसाती, ढैय्या आदि का शमन होता है।
—-मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि है इसलिए दोनों राशि के जातकों के लिए सात और चौदह मुखी रुद्राक्ष को पहनना शुभ बताया गया है।
—-शिवपुराण के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है।सात मुखी रुद्राक्ष परम सौभाग्य दायी है. यश कीर्ति की प्राप्ति होती है. गुप्त धन भी प्राप्त होता है. इसके देवता हनुमान है. शनि के दोषों को दूर करने में यह सहायक है |
—-सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से ज्ञान, तेज, बल, अर्थ, व्यापार में उन्नति आदि संभव है. स्त्री सुख भी पूर्ण रूप से मिलता है.
—-सात मुखी रुद्राक्ष के अध्यात्मिक प्रभाव – सात मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मणि आदि सात लोक माताओं का स्वरुप माना जाता है। इस धारण करने से महान सम्पति तथा आरोग्य प्राप्त होता है। यदि इसे पवित्र भावना से धारण किया जाये तो आत्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। सात रुद्राक्ष काम देव का सूचक है। कामुक लोग इसे अपनी काम वासना के लिए भी धारण करते हैं।
—सात मुखी रुद्राक्ष के वैज्ञानिक प्रभाव – जो बच्चे बचपन से ही दुबले पतले होते है ऐसे बच्चो कों सात मुखी रुद्राक्ष मक्खन में घिस कर खिलाने से बच्चा स्वस्थ हो जाता है। एवं जो व्यक्ति नपुंसक होते हैं वे यदि सुबह शाम सात मुखी रुद्राक्ष कों मधु के साथ घिस कर सेवन करे तो काफी फायदा होता है।

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र “ॐ हूँ नमः” है | इस रुद्राक्ष को धारण के पश्चात इसी मंत्र की तीन या पांच माला रोज़ अगर जाप किया जाए तो इस रुद्राक्ष की क्षमता कई सो गुना बढ़ जाती है और धारक को धन एवं यश की प्राप्ति होती है अतः हर नौकरी या व्यवसाय करने वाले मनुष्य को सात मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए |

धारण विधिः- किसी भी मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक तीनो दिन गंगाजल में केसर दूध मिलाकर निम्न मन्त्र से- ”ऊँ ऐं हीं श्री क्लीं हूं सौः जगत्प्रसूतये नमः” से सातमुखी रुद्राक्ष पर जल छिड़के। इसके बाद गंध अक्षत, दूर्वा, पुष्प, बेल-पत्र, धतूरा चढ़ाकर विधिवत् पूजन करें। तत्पश्चात् निम्न मन्त्र से ”ऊँ ऐं हीं श्रीं क्लीं हूं सौः जगत्प्रसूयते” से 108 बार हवन करना चाहिए। और 7 बार हवन-अग्नि की परिक्रमा करके सातमुखी रुद्राक्ष को गले या भुजा में धारण करें।रूद्राक्ष को हमेशा सोमवार के दिन प्रात:काल शिव मन्दिर में बैठकर गंगाजल या कच्चे दूध में धो कर, लाल धागे में अथवा सोने या चांदी के तार में पिरो कर धारण किया जा सकता है। रुद्राक्ष को रखने का स्थल शुद्ध एवं पवित्र होना चाहिए ।

रुद्राक्ष भाग्य शाली व्यक्ति को हो मिलता है, इसे पूजा घर में रखना अत्यंत लाभदायक है । येन केन प्रकारेण यदि आपको असली रुद्राक्ष की प्राप्ति हो जाये, तो आप इसे श्रद्धा विश्वास एवं विधिपूर्वक धारण करें, आपका जीवन सर्वतोन्मुखी विकास की ओर अग्रसर होगा । नहीं तो इसे पूजा घर में रखकर श्रद्धा पूर्वक पूजन करें, आपकी भाग्योन्नति तत्काल शुरू हो जाएगी ।।