नवांश कुंडली Navmansh Kundali
नवमांश कुण्डली
भारतीय ज्योतिष में नवमांश कुण्डली (नवांश कुंडली Navmansh Kundali) अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। नवमांश कुण्डली को लग्न कुण्डली के बाद सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। लग्न कुण्डली शरीर को एवं नवमांश कुण्डली आत्मा को निरुपित करती है। केवल जन्म कुण्डली से फलादेश करने पर फलादेश समान्यत सही नहीं आता। पराशर संहिता के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुन्डली एवं नवांश कुण्डली में एक ही राशि होती है तो उसका वर्गोत्तम नवमांश होता है वह शारीरिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ होता है। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी वर्गोत्तम होने पर बली हो जाते है एवं अच्छा फल प्रदान करते है। अगर कोई ग्रह जन्म कुण्डली में नीच का हो एवं नवांश कुण्डली में उच्च को हो तो वह शुभ फल प्रदान करता है जो नवांश कुण्डली के महत्त्व को प्रदर्शित करता है। नवांश कुण्डली में नवग्रहो सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि के वर्गोत्तम होने पर व्यक्ति क्रमश: प्रतिष्ठावान, अच्छी स्मरण शक्ति, उत्त्साही, अत्यंत बुद्धिमान, धार्मिक एवं ज्ञानी, सौन्दर्यवान एवं स्वस्थ और लापरवाह होता है।