माता मदानण साधना
मन्त्र
मदान चगान दी रानी
चौ कुंठा दी रानी
जरग खेड़े दी रानी कुराली खेड़े दी रानी
शांति सरूप हो माँ!
विधि
इस मन्त्र को धुप अगरवती जलाकर रात के समय हररोज २ घंटे जपे यह क्रिया ४१ दिन करे मन्त्र सिद्ध हो जायेगा पहले दिन और आखरी दिन दो लड्डू और एक अंडा उजाड़ स्थान में रख आये और पीछे मुड़कर न देखे प्रयोग के वक़्त नीम की टहनी से सात बार मन्त्र पढ़कर झाड़ दे और यदि भूत प्रेत या मसानी आदि का प्रयोग हो तो एक अंडा और २ लडू उजाड़ स्थान में रख दे और माता से प्रार्थना करे।
सभी मसानियो के बारे में बताना बहुत मुश्किल है यह सभी देविया
माता मदानण की सेविकाएँ है एक मान्यता के अनुसार किसी भी देवी का चढ़ावा माता मदानण ले सकती है पर मदानण का चढ़ावा कोई नहीं ले सकता माता मदानण को सभी देवियों की रानी माना जाता है
एक प्राचीन कथा
के अनुसार भगवान कृष्ण के समय योगमाया का अवतार हुआ था कंस जब उन्हें मारने लगे तो वो आसमान में बिजली बनकर उड़ गयी और कहा तुझे मारने वाला जन्म ले चूका है
भगवान कृष्ण ने योगमाया को अपने मस्तक में धारण किया जब भगवान श्री कृष्ण के पैर में तीर लगा और वो धरती से जाने लगे तो योगमाया से कहा कलयुग के प्रथम चरण में देवी भगवती मदानण के रूप में अवतार लेंगी आप उनकी सेवा में चले जाये योगमाया देवी की द्वारपाल है और बाबा सवलसिंह बाबरी देवी के दूत है उनके आगे हनुमान और पीछे भैरव है नाहरसिंह वीर उनकी परिक्रमा करते है
रखता वीर और बाबा खेत्रपाल जी उनके सेना नायक है
यदि कोई भक्त देवी की भेंट न दे तो सवलसिंह वीर उन्हें जाकर याद दिलाते है स्वयं तो देवी किसी विशेष भक्त के पास ही जाती है।
जब गूगा जाहरवीर का अपने भाई अर्जन और सर्जन से युद्ध हुआ तो उनके वजीर नाहरसिंह वीर ने कहा कि युद्ध में जीतना चाहते हो तो बाबा सवलसिंह वीर,माता मदानण और महाकाली को प्रसन्न कर लो यदि इनका आशीर्वाद मिल गया तो तुम्हारी जीत निश्चित है ।
उस वक़्त गूगा जाहरवीर ने भी देवी की उपासना की थी , आज भी यदि जाहरवीर की माडी मंदिर पर यदि कोई भूत-प्रेत न माने तो उस चौंकी को देवी मदानण उठाती है नाथ पंथ का मानना है कि अजन्मा होने के कारण देवी मदानण ईश्वर है।
देवी मदानण की सभी साधनाए उग्र होती है और देवी का प्रयोग मारण उच्चाटन आदि क्रियाओं में किया जाता है , माई नराती देवी मदानण की प्रिय भक्त थी।
यदि माता मदानण की सवारी आये और माता मानने को तैयार न हो तो माई नराती की आन लगाने से और माई नराती के नाम से बर्फी बाँटने पर माता शांत हो जाती है माता मदानण दयावान है कठोर तो माता अपने भक्त के शत्रुओं पर ही होती है।