लक्ष्मी बंधन काटना

अगर आपको लगता है की आपके पास धन नहीं रुकता और आपका धन किसी ने वधवा दिया है तो निम्न प्रयोग करके आप छुटकारा पा सकते है|

अक्सर लोगों को पता भी होता है की उनके इस कठिन समय के लिए कौन जिम्मेदार है या किसने ये किया कराया है तो कई बार वे इससे बिलकुल अनभिज्ञ रहते हैं।

ये प्रयोग किसी भी पक्ष की अष्टमी अथवा किसी भी शुक्रवार के दिन एक लकड़ी की चौकी या पाटे पर एक लाल वस्त्र बिछाएं। उस पर माँ काली का एक विग्रह या चित्र स्थापित करें ।

 

पाटे या चौकी के चरों कोनो पर एक एक उड़द की ढेरी बना कर उस पर एक एक लघु नारियल स्थापित करें।
माँ के चारों ओर उड़द और चावल की पांच ढेरियाँ बनाकर प्रत्येक पर 3 -3 गांठ काली हल्दी की रखें और दो दो गोमती चक्र चढ़ाएं।
विग्रह के सामने तीन मुट्ठी अक्षत और सवा मुट्ठी उड़द की ढेरियाँ बनायें।
चावल वाली ढेरी पर सियार सिंगी का जोड़ा और उड़द वाली ढेरी पर हत्था जोड़ी स्थापित करें।
चमेली या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
अब भगवान श्री गणेश जी का पूजन कर प्रार्थना करें की आपका ये अनुष्ठान सफलता पूर्वक संपन्न हो और आपके सभी कष्ट दूर हों। फिर माँ और सभी वस्तुओं की पंचोपचार पूजा करें। चन्दन की धूप या धूनी जलाएं।
माँ को खीर का भोग अर्पित करें।
निम्न मन्त्र की 11 माला करें
ॐ श्रीं ह्रीं क्रीं फट स्वाहा। ॐ किली किली स्वाहा।
इस प्रकार उक्त सामग्री यूँ ही रहने दें। आगे 10 दिन तक  11 माला करें।
अंतिम दिन पुनः खीर का भोग लगायें
11वें दिन उक्त सारा सामान अर्थात सियार सिंगी, हत्था जोड़ी, काली हल्दी और प्रत्येक धेरी में से एक गोमती चक्र को उठाकर एक चाँदी की डिब्बी में सिंदूर भर कर रख लें। लाल कपडे को अपने गल्ले में निचे बिछा दें और पैसे उसके ऊपर या उसमे लपेट कर रखें।
अन्य सभी सामग्री अर्थात चावल उड़द खिचड़ी , प्रत्येक ढेरी पर बचे हुए एक गोमती चक्र और लघु नारियल को एक काले कपडे में लपेट लें और अपनी दुकान प्रतिष्ठान गल्ले के ऊपर से 21 बार घडी की   उलटी दिशा  में उतार कर नदी में प्रवाहित कर दें।