वास्तु-दोष निवारण


✔ ज़मीन

➡ ज़मीन खरीदते समय
भूमि ऐसी जगह न हो जहां गली या रास्ते का अंत होता हो।जहां तीन रास्ते एक साथ मिलते हों, वहां भूमि न लें। यह अशुभ होती है।

यदि भूमि खोदने पर हड्डी या फटा कपड़ा मिले तो भूमि अशुभ होती है।
यदि भूमि खोदते समय खप्पर मिले तो भूमि पर बनने वाला घर कलहकारी होता है।भूमि खरीदते समय ध्यान रखें भूमि का रंग कैसा भी हो लेकिन वह चिकनी होनी चाहिए।जिस भूमि पर पहले कभी श्मशान रहा हो वह भूमि अपशकुनी होती है।
भूमि का चयन करते समय यह जरूर देखें की भूमि बंजर न हो, उसमें कुछ न कुछ उत्पन्न होता हो।

✔अन्य वास्तु के उपाय

➡ घर में दीवार घड़ी पूर्व दिशा की ओर लगाना बहुत शुभ होता है।

घर में मधुमक्खी, ततैया या मकड़ी के जाले बिल्कुल न रहने दें।
पलंग पर चादर, पर्दों पर सकारात्मक चित्र बनें हों। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

घर में युद्ध के चित्र न लगाएं यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है।

रविवार के दिन न तो तुलसी का पौधा लगाएं और न ही तुलसी पत्र को तोड़ें।

कांच का टूटना अपशकुन होता है, इसलिए टूटे कांच को घर से हटा दें।

घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी।

यदि आप अपने घर में कोई शुभ चिन्ह ‘स्वास्तिक’, ‘ऊं’ तो इन्हें घर में अंदर की ओर लगाएं।

➡ घर में यदि नल है तो उसमें से पानी व्यर्थ न बहनें दें।

सोने से पहले घर के झूठे बर्तनों को साफ करके ही रखें।
✔ दरवाजे

➡ घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं।
घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए। ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं। दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो। इससे घर में कलह होता है। इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें।
✔ पढ़ने का स्थान

➡ घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए।

✔ पूजा-स्थल

➡ पूजा घर पूर्व-उत्तर {ईशान कोण}में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 0६से 0८ बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए।
पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व {ईशान कोण} में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए। इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए ।

. ✔ बाथरूम

➡ बाथरूम में गहरे रंग के टाइल्स नहीं लगाने चाहिए. हलके या सफ़ेद रंग के टाइल्स का प्रयोग करें.
बाथरूम के दरवाजे के सामने दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इसको लगाने से बहार की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है.
गीज़र या ऐसे विद्युत वाले उपकरण को आग्नेय कोण {दक्षिण-पूर्व दिशा} में लगाना चाहिए.
यदि बाथरूम अटैच है तो बाथरूम और कमरे के स्तर में थोड़ा अंतर करें, भरसक बाथरूम के स्तर को ऊँचा रखें.
बाथरूम में पानी का बहाव उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।

✔ सीढ़ियां

➡घर में सीढ़ियों के लिए सर्वोत्तम दिशा दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम है। अगर सीढ़ियां सही जगह पर बनी हों तो बहुत-से उतार-चढ़ाव व कठिनाइयों से बचा जा सकता है।
सीढ़ियों के नीचे का स्थान खाली न छोड़ें, उसको स्टोर करने के लिए दरवाजे से युक्त स्टोर बना सकते हैं.
सीढ़ियों के नीचे कभी जल से संबंधित कोई सामान न रखें, अक्वेरियम के लिए भी यह जगह सही नहीं मानी जाती है.
सीढ़ियों के हर स्टेप का आकर सामान होना चाहिए और स्टेप मजबूत हो और बिलकुल हिलने वाले नहीं होने चाहिए. खड़ी चढ़ाई वाली सीढ़ियों से बेहतर है कि उसे दो स्तर का बनाएं।
सीढ़ियाँ चौड़ी होनी चाहिए और चढ़ने पर पर्याप्त जगह होना चाहिए.

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