पित्र पक्ष के अंतिम दिन पूजन
पित्र पक्ष के अंतिम दिन में क्या विशेष पूजन के करने से हम पितरो के से आशिर्वाद प्राप्त कर सकते है
जो लोग पित्र दोष से पीड़ित है वह इस पूजा के द्वारा अपनी समस्याओ से छुटकारा पा सकते है
दिन -8 oct 2018
सामग्री – यन्त्र,सफ़ेद चन्दन ,भोजपत्र,धुप,५ पान,मिठाई,सफ़ेद कपडा (सवा मीटर) ,कलावा ,रोली,लाल चन्दन.जौ, दही, दूर्वा
स्थान – किसी नदी किनारे (घर में नही किया सकता )
सर्वप्रथम किसी नदी के किनारे पर एकांत बैठ जाये और उस नदी में स्नान कर ले शरीर को पोछे नही ऐसी ही स्थिति में ही नदी किनारे बैठ जाये और हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र का जाप करते रहे और जल को girate रहे और अपनी चारो और एक घेरे बना ले अपनी सुरक्षा के लिए
मंत्र – ॐ नम्हो वज्र का कोठा जिसमे पिंड हमारा पैठा ईश्वर कुंजी बह्रम का ताला मेरे आठो याम का यति हनुमंत रखवाला (जप बार )
और उस घेरे के अंदर आ जाये फिर पान के पत्रो और समस्त सामग्री को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर के फिर पान के पत्तो पर मिठाई थोड़ा सा सफ़ेद चन्दन रखे दे और निम्न मंत्रो का जाप करे
मन्त्र 1 –ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ।।( ११ बार )
मन्त्र 2 –ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः ।।(११ बार )
फिर निम्न मंत्रो को पद कर संकल्प ले.
ॐ तत्सदध मासोन्तमेडमुकमासे अमुक पक्षे तिथौ वासरे अमुक कर्माण्ङीभूतं आभ्युदयिक श्राद्धमहं करिष्ये।
संकल्प पूरा होते ही भोजपत्रे को ले कर निम्न मंत्र को लाल चन्दन से निर्मित करे
फिर यन्त्र को धुप और दीपक दे और निम्न मंत्र का जाप करे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
फिर ५ पान को पत्रो पर दही,दुर्बा,रोली ,छोटा सा कलावा रखे,मिठाई रखे,अक्षत यह सब रख कर अपनी पितरो को नमस्कार कर आव्हान करे आंखे बंद करके अपनी पितरो का ध्यान करिये और और आव्हान करिये
और सफ़ेद वस्त्र पर पांचो पान के पत्रे रखे दे और अपनी जगह से उठ कर एक पान का पत्ता नदी से प्राथना करके नदी में वहा दे और वापस अपनी स्थान पर आकर बैठ जाये
और ४ समिधा को लेकर उसके निचे कपुर रखे और घी तैयार रखे और आहुति देनी शुरू करे निम्न मंत्र की २१ आहुतिय दे देवे
ऊँ श्री सर्व पितृ दोष निवारणाय कलेशम् हं हं सुख शांतिम् देहि फट स्वाहा: |
फिर पितरो से शांति की प्राथना करे और एक एक करके बचे हुए ४ पान के पतों को नदी में वहाते रहे और पितरो का ध्यान करते रहे अंत में हाथ जोर नदी और अपनी पितरो को नमस्कार कर अपनी स्थान पर वापस आ जाये उस सफ़ेद वस्त्र को भी नदी में बहा दे |