Mahalakshmi Vrat 2018
महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से किया जाता है. यह व्रत सोलह दिनों तक चलता है. इस व्रत में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजन की जाती है. महालक्ष्मी व्रत शुभ माना जाता है. इस व्रत को विवाहित जोड़े रखते हैं. इस दिन समृद्धि की प्रतिक मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
लक्ष्मी जी, भगवान विष्णु की पत्नी है, जिन्हें सुख-समृद्धि और एश्वर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है. इस साल ये महालक्ष्मी व्रत आज यानी 1 अक्टूबर से शुरू है. यह व्रत 15 दिन चलता है. पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से गरीबी हमेशा के लिए दूर होती है.
16 days mahalakshmi vrat katha
प्राचीन समय की बात है, कि एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राह्माण रहता था. वह ब्राह्माण नियमित रुप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था. उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिये़. और ब्राह्माण से अपनी मनोकामना मांगने के लिये कहा, ब्राह्माण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की. यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्माण को बता दिया, मंदिर के सामने एक स्त्री आती है,जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना. वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है.
देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बार तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा. यह कहकर श्री विष्णु जी चले गये. अगले दिन वह सुबह चार बचए ही वह मंदिर के सामने बैठ गया. लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं, तो ब्राह्माण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया. ब्राह्माण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई, कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है. लक्ष्मी जी ने ब्राह्माण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो, 16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा.
ब्राह्माण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा किया. उस दिन से यह व्रत इस दिन, उपरोक्त विधि से पूरी श्रद्वा से किया जाता है.
महालक्ष्मी व्रत के दौरान शाकाहारी भोजन करें
- पान के पत्तों से सजे कलश में पानी भरकर मंदिर में रखें. कलश के ऊपर नारियल रखें
- कलश के चारों तरफ लाल धागा बांधे और कलश को लाल कपड़े से सजाएं
- श्री कलश पर कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं. माना जाता है, इससे पवित्रता और समृद्धि आती है
- कलश में चावल और सिक्के डालें
- श्री कलश को महालक्ष्मी के पूजास्थल पर रखें
- कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें
- इस दिन सोना खरीदने, हाथी पर रखने से पूजा का विशेष लाभ मिलता है
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखे
- सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई व फल भी रखें
- माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें
- धन लक्ष्मी मां,
- गज लक्ष्मी मां,
- वीर लक्ष्मी मां,
- ऐश्वर्या लक्ष्मी मां,
- विजय लक्ष्मी मां,
- धान्य लक्ष्मी मां और
- संतान लक्ष्मी मां
इस दिन खरीदा गया सोना बढ़ता है आठ गुना
वैसे तो इस समय श्राद्ध पक्ष चल रहा है जिसमें नई चीजों की खरीददारी वर्जित होती है। लेकिन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की महालक्ष्मी पूजा पर यह दिन शुभ माना गया है। इस तिथि को माता लक्ष्मी जी का विशेष वरदान मिला हुआ है। इस दिन पर सोना खरीदने का महत्व है। ऐसी मान्यता है इस दिन खरीदा गया सोना आठ गुना से बढ़ता है और जीवन मे सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है
पूजन विधि
इस दिन पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और मूर्ति के सामने श्रीयंत्र, सोने-चांदी के सिक्के और फल फूल रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की मंत्रों के साथ कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।