नीला /नीलिमा भार्या Shani Dev Wife

इनका विवाह नीला या नीलिमा नाम की कन्या से किया गया इनकी पत्नी सतीसाध्वी और परम तेजस्विनी थीं। नीला या नीलिमा शनि देव की पहली पत्नी है जो शनि के तुल्य ही है और नीलम रत्न के रूप में शनि देव के मस्तक पर विराजमान है

कारणवश शनि देव का प्रिय रत्न नीलम है। नीला और शनि के मिलन से एक पुत्र संतान उत्पन्न हुई जिसका नाम कुलिगना था। शनि देव को नीला ने ही श्राप दिया था क्योकि नीला पुत्र संतान की इच्छा लेकर शनि देव के पास आयी थी।

लेकिन शनि देव श्रीकृष्ण भक्ति में ही लीन रहते थे, और इन्हें बाह्य जगत की कोई सुधि ही नहीं थी।

कारणवश शनि देव नीला की ओर बिलकुल भी नहीं देखते थे। नीला प्रतीक्षा कर थक गईं तब क्रोधित हो नीला ने  इन्हें शाप दें दिया और शनि देव को कहाहे शनि  आज से  आपकी आँखों में जो भी देंखेगा उसका अनर्थ ही होगा

तब से शनि देव की आँखों में देखना अशुभ माना जाता है। दूसरा कारण शनि की आँखों में न देखने का कारण यह भी है की शनि देव न्याय के देवता है

और कोई भी व्यक्ति अगर पाप का भोगी है तो वो योग्य नहीं है की शनि देव की आँखों में देंखें। ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने उसे मनाया और समझाया तो पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ। किन्तु शाप के प्रतिकार की शक्ति उसमें ना थी।

धामिनी/ मंदा Shani Dev Wife

 चितरथ गंधर्व की पुत्री जिनका नाम धामिनी/मंदा था उनसे विवाह हुआ था,  धामिनी शनि देव की दूसरी पत्नी थी, धामिनी को मंदा या मंदी के नाम से भी जाना जाता है। इनके मिलन से एक पुत्र संतान उत्पन्न हुआ जिसका नाम गुलिका था।

शनि ज्योतिष में गुलिका मंदी का भी काफी योग माना जाता है। मंदा गन्धर्व थी और अपने नृत्य से किसी को भी सम्मोहित कर सकती थी। मंदा की माता दिव्यांका का देंहांत मंदा के बाल्यकाल में ही हो गया था, दिव्यांका की मृत्यु जब हुई जब वो अपनी पुत्री मंदा की रक्षा एक असुर सर्प से कर रही थी। चितरथ ने मंदा की माँ की मृत्यु के बाद उनका नाम बदल कर धामिनी कर दिया था।