Daksh Prajapati and Bhagwan Shiva Story

दक्ष प्रजापति सृष्टि निर्माता भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे राजा दक्ष के दो पुत्र, 84 पुत्रियाँ थी, दक्ष प्रजापति ने पानी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रदेव के साथ किया था, इन 27 कन्याओं में रोहिणी सबसे अधिक सुन्दर थीं, चन्द्रमा रोहिणी से सर्वाधिक प्रेम करते थे और अन्य 26 पत्नियों की अनदेखी करते थे उन कन्याओं ने यह बात अपने पिता दक्ष को बताई. दक्ष बहुत दुखी हुए, उन्होंने चन्द्रमा को आमंत्रित किया, उन्होंने चन्द्रमा से इस अनुचित व्यव्हार के लिए सावधान किया, चन्द्रमा ने अपनी गलती स्वीकार कर ली और वचन दिया कि वो भविष्य में ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे

परन्तु ऐसा हुआ नहीं, चन्द्रमा ने अपना भेदभावपूर्ण व्यव्हार जारी रखा दक्ष की कन्यायें क्या करती, उन्होंने पुनः अपने पिता को इस सम्बन्ध में सूचित किया इस बार दक्ष ने चंद्रलोक जाकर चन्द्रदेव को समझाने का निर्णय लिया दक्ष प्रजापति और चन्द्रमा की बात इतना बढ़ गयी कि अंत में क्रोधित दक्ष ने चन्द्रदेव को कुरूप होने का श्राप दे दिया

श्राप का असर दिखने लगा और दिन-प्रतिदिन चन्द्रमा की सुन्दरता और तेज घटने लगा. एक दिन नारद मुनि चन्द्रलोक पहुंचे तो चन्द्रमा ने उनसे इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूंछा, नारदमुनि ने चन्द्रमा से कहा कि वो श्राप मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें

चन्द्रमा यह बात जानते थे

कि भगवान शिव का विवाह सती से होने वाला है उन्हें लगा कि शिव उनकी सहायता क्यों ही करेंगे. नारद मुनि चतुर तो थे ही, उन्होंने उपाय बताया कि पहले शिव जी से कहना कि आप मेरी रक्षा करने का वचन दें. जब शिव हाँ कर दें तो दक्ष के श्राप की बात बताना, शिव अपने वचन की रक्षा करते हुए तुम्हारा कल्याण अवश्य करेंगे नारद मुनि के कहे अनुसार चंद्रदेव ने किया और शिव ने उन्हें श्रापमुक्त किया

कुछ दिन बाद नारद घूमते हुए दक्ष के दरबार में पहुंचे और उन्होंने चन्द्रमा की श्रापमुक्ति के बारे में उन्हें बताया दक्ष को बड़ा क्रोध आया कि उनके श्राप को किसने विफल कर दिया नारदजी से जानकर दक्ष शिव से युद्ध करने कैलाश पर्वत पहुँच गये शिव और दक्ष का युद्ध होने लगा इस युद्ध को रोकने के लिए ब्रह्मा और भगवान शिव वहां पहुंचे भगवान ब्रह्मा ने चन्द्रमा के शरीर से एक नए चन्द्रमा की उत्पत्ति कर दी

भगवान विष्णु ने कहा कि – दक्ष के श्राप अनुसार पहले चंद्रमा की सुन्दरता कुछ दिन घटेगी और कुछ दिन बढ़ेगी, साथ ही चन्द्रमा को अपनी पत्नियों से समानता का व्यवहार करना होगा , शिव जी के वरदान प्राप्त दूसरे चन्द्रमा को शिव के साथ रहना होगा

यह प्रकरण तो समाप्त हुआ पर दक्ष ने मन ही मन निर्णय ले लिया कि वो सती का विवाह शिव से नहीं करेंगे