तन्त्रोक्त माला प्रतिष्ठा विधि Tantrik mala Pujan

तन्त्रोक्त माला प्रतिष्ठा विधि

मंत्र जप 

 

अनुष्ठान-साधना-पूजा में जप माला की आवश्यकता होती है | बहुत कम ही ऐसी साधनाये है जिसमे माला का जरूरत न हो | माला बाजार से सीधे खरीदकर जप नहीं किया जा सकता, इस तरह की माला पर जप बहुत प्रभावी नहीं होता, इसलिये माला प्राण-प्रतिष्ठा विधि-विधान अत्यंत आवश्यक है| सभी की ऐसी इच्छा रहती है की मेरे पास दुर्लभ माला रहे जिससे मेरी हरकामना पूर्ण हो, परंतु आजकल ऐसी माला नहीं है | इसके लिए एक निश्चित प्रक्रिया के अनुसार माल की प्राण प्रतिष्ठा और उसमे चैतन्यता की आवश्यकता होती है | अगर पत्थर मे जान डालकर उनका पूजन हो सकता है तो फिर मालाका हर मनका भी जीवित किया जा सकता है | इसके लिए तंत्रानुसार निम्न प्रक्रिया अपनाई जा सकती है|

  • सर्वप्रथम स्नान आदि से शुद्ध हो कर अपने पूजा गृह में पूर्व या उत्तर की ओर मुह कर आसन पर बैठजाए|
  •  अब सर्व प्रथम आचमन – पवित्रीकरण करने के बाद गणेश -गुरु तथा अपने इष्ट देव/ देवी का पूजनसम्पन्न कर ले|

मुख शोधन करे

“क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ॐ ॐ क्लीं क्लीं क्लीं”

इस मंत्र का १० बार जाप करने से मुख शोधन होग

स्व-गुरु पूजन

श्रीगुरुनाथ श्री पादुकां पुजयामी । परमगुरु श्री पादुकां पुजयामी । परात्परगुरु श्री पादुकां पुजयामी ।परमेष्टिगुरुनाथ श्री पादुकां पुजयामी ।

गुरुमंत्र का कम से कम एक माला जाप करे और गुरुजी से सफलता हेतु प्रार्थना करे निम्न मंत्र बोलकर गुरुचरनो मे भक्ति-भाव से पुष्प समर्पित कीजिये

अभीष्ट सिद्धिम मे देही शरनागतवस्तले। भक्त्या समर्पये तुभ्यं गुरुपंक्तिप्रपूजनम॥

तत्पश्चात पीपल के 08 पत्तो को भूमि पर अष्टदल कमल की भाती बिछा ले ! एक पत्ता मध्य में तथाशेष आठ पत्ते आठ दिशाओ में रखने से अष्टदल कमल बनेगा ! इन पत्तो के ऊपर आप माला को रख दे |अब अपने समक्ष पंचगव्य तैयार कर के रख ले किसी पात्र में और उससे माला को प्रक्षालित ( धोये ) करे! गाय से उत्पन्न दूध , दही , घी , गोमूत्र , गोबर इन पांच वस्तुओं को मिलाने से पंचगव्य बनता है |

पंचगव्य से माला को स्नान करना है 

स्नान करते हुए अं आं इत्यादि सं हं पर्यन्त समस्त स्वर -व्यंजन का उच्चारण करे ! –

ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋृं लृं लॄं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं ङं चं छं जं झं ञं टं ठं डं ढं णं तं थं दं धं नं पंफं बं भं मं यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं !!

यह उच्चारण करते हुए माला को पंचगव्य से धोले ध्यान रखे इन समस्त स्वर का अनुनासिक उच्चारणहोगा !इसके बाद माला को जल से धो ले 

ॐ सद्यो जातं प्रद्यामि सद्यो जाताय वै नमो नमः

भवे भवे नाति भवे भवस्य मां भवोद्भवाय नमः 

अब माला को साफ़ वस्त्र से पोछे और निम्न मंत्र बोलते हुए माला के प्रत्येक मनके पर चन्दन- कुमकुमआदि का तिलक करे 

ॐ वामदेवाय नमः जयेष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कल विकरणाय नमो बलविकरणाय नमः !

बलाय नमो बल प्रमथनाय नमः सर्वभूत दमनाय नमो मनोनमनाय नमः !!

अब धूप जला कर माला को धूपित करे और मंत्र बोले 

ॐ अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्य: सर्वेभ्य: सर्व शर्वेभया नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्य:

अब माला को अपने हाथ में लेकर दाए हाथ से ढक ले और निम्न मंत्र का १०८ बार जप कर उसकोअभिमंत्रित करे 

ॐ ईशानः सर्व विद्यानमीश्वर सर्वभूतानाम ब्रह्माधिपति ब्रह्मणो अधिपति ब्रह्मा शिवो मे अस्तुसदा शिवोम !!

अब साधक माला की प्राण – प्रतिष्ठा हेतु अपने दाय हाथ में जल लेकर विनियोग करे 

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्मा विष्णु रुद्रा ऋषय: ऋग्यजु:सामानि छन्दांसिप्राणशक्तिदेवता आं बीजं ह्रीं शक्ति क्रों कीलकम अस्मिन माले प्राणप्रतिष्ठापने विनियोगः !!

अब माला को बाएं हाथ में लेकर दायें हाथ से ढक ले और निम्न मंत्र बोलते हुए ऐसी भावना करे कि यहमाला पूर्ण चैतन्य व शक्ति संपन्न हो रही है |

ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम प्राणा इह प्राणाः ! ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम जीव इह स्थितः ! ॐ आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हों ॐ क्षं सं हं सः ह्रीं ॐ आं ह्रीं क्रों अस्य मालाम सर्वेन्द्रयाणी वाङ्मनसत्वक चक्षुः श्रोत्र जिह्वा घ्राण प्राणा इहागत्य इहैव सुखं तिष्ठन्तु स्वाहा 

ॐ मनो जूतिजुर्षतामाज्यस्य बृहस्पतिरयज्ञमिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञं समिमं दधातु विश्वे देवा सइहमादयन्ताम् ॐ प्रतिष्ठ !!

२४ बार गायत्री मंत्र बोलकर माला पर जल चढ़ाये, जिससे माला का शुद्धिकरण हो जाये और मंत्र जाप मेकिसी भी प्रकार का दोष नहीं लगे. .माला का गन्ध अक्षत और पुष्प से पूजन करके प्रार्थना करे|

ॐ माले माले महामाले, सर्वशक्तिस्वरूपिणी । चतुर्वर्गस्त्वयिन्यस्तस्तस्मात्वं सिद्धिदा भव॥

माला को चैतन्य करने के लिये चेतना बीज मंत्रोसे माला के हर मणि को कुंकुम का बिंदी लगाये

चेतना बीज मंत्र

 “क्लीं श्रीं ह्रीं फट”

अब माला का स्तुति करते हुये माला को दाहिने हाथ से ग्रहण करे

ॐ अविघ्नंकुरु माले त्वं जपकाले सदा मम। त्वं माले सर्वमन्त्रानामभीष्टसिद्धिकरी भव ॥

आप जिस प्रकार का माला चाहते है जैसे गुरुमंत्र जाप माला, दशमहाविद्या, महामृत्युंजय, नवग्रहमाला, तो इस के लिये आप संबन्धित देवी/ देवता काआवाहन माला मे करे या इष्ट से प्रार्थना करे केउनके प्रसन्नता प्राप्त करने हेतु “अमुक मंत्र जाप हेतु माला मे अमुक शक्ति की स्थापना हो “औरअपने इष्ट का आज्ञा चक्र मे ध्यान करे

कुल्लुका मंत्र का करमाला (उंगली से) से शिर पर १० बार जाप करे

“क्रीं हुं स्त्रीं ह्रीं फट”

अब माला को हाथ मे लेकर निम्न मंत्र का आवश्यक संख्या मे जाप प्रारम्भ करे

तान्त्रोक्त माला मंत्र

ॐ ऐं श्रीं सर्व माला मणि माला सिद्धिप्रदायत्री शक्तिरूपीन्यै श्रीं ऐं नम:

मंत्र जाप के बाद माला को शिर पर रखे और प्रार्थना करे…

माले त्वं सर्वदेवानां प्रीतिदा शुभदा भव ।

शुभं कुरुष्व मे देवी यशोवीर्य ददस्व मे ॥

माला को शिर से उतारकर पुष्प समर्पित कर दे॰ सदगुरुजी भगवान को सर्व विधि-विधान हाथ मे जललेकर जल के रूप मे समर्पित कर दीजिये और क्षमा प्रार्थना भी करनी है|अब माला को अपने मस्तक से लगा कर पूरे सम्मान सहित स्थान दे |इतने संस्कार करने के बाद माला जप करने योग्य शुद्ध तथा सिद्धिदायक होती है ! नित्य जप करने से पूर्वमाला का संक्षिप्त पूजन निम्न मंत्र से करने के उपरान्त जप प्रारम्भ करे 

ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि देहि सर्व मंत्रार्थ साधिनी साधय-साधय सर्व सिद्धिं परिकल्पय मे स्वाहा! ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नमः 

जप करते समय माला पर किसी कि दृष्टि नहीं पड़नी चाहिए ! गोमुख रूपी थैली ( गोमुखी ) में मालारखकर इसी थैले में हाथ डालकर जप किया जाना चाहिए अथवा वस्त्र आदि से माला आच्छादित कर लेअन्यथा जप निष्फल होता है !यह एक सामान्य प्रक्रिया है जो सामान्य साधक उपयोग में ले सकते हैं |इस सम्बन्ध में योग्य जानकार से परामर्श लें और मंत्रादी की शुद्धि जांच लें|

 

Mala Pujan Vidhi or Prathistha

Shani Samhita शनि संहिता

Sarvartha Siddhi Yoga Meaning