गोचर में ग्रहों से यह मतलब होता है की वर्तमान में आसमान में ग्रह किन राशियों (Sign) में भ्रमण कर रहे है।  अध्ययन जातक की चन्द्र राशि (moon sign)से किया जाता है । जातक के वर्तमान जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

यदि गोचर मे सूर्य (Sun) जन्म राशी (birth sign/ moon sign) से निम्न भावो (houses) में हो तो इसका फल इस प्रकार होता है:

  • प्रथम भाव (1st house) मेंइस भाव में होने पर रक्त में कमी की सम्भावना होती है। इसके अलावा गुस्सा आता है पेट में रोग और कब्ज़ की परेशानी आने लगती है । नेत्र रोग , हृदय रोग ,मानसिक अशांति ,थकान और सर्दी गर्मी से पित का प्रकोप होने लगता है ।इसके आलवा फालतू का घूमना , बेकार का परिश्रम
  • द्वितीय भाव (2nd house) मेंइस भाव में सूर्य के आने से धन की हानि,उदासी ,सुख में कमी , असफ़लत अ, धोका ।नेत्र विकार , मित्रो से विरोध , सिरदर्द , व्यापार में नुकसान होने लगता है।
  • तृतीय भाव (3rd house) में इस भाव में सूर्य के फल अच्छे होते है ।यहाँ जब सूर्य होता है तो सभी प्रकार के लाभ मिलते है । धन , पुत्र ,दोस्त और उच्चाधिकारियों से अधिक लाभ मिलता है । जमीन का भी फायदा होता है । आरोग्य और प्रसस्नता मिलती है । शत्रु हारते हैं । समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
  • चतुर्थ भाव (4th house) में इस भाव में सूर्य के होने से ज़मीन सम्बन्धी , माता से , यात्रा से और पत्नी से समस्या आती है । रोग , मानसिक अशांति और मानहानि के कष्ट आने लगते हैं।
  • पंचम (5th house) भावइस भाव में भी सूर्य परेशान करता है ।पुत्र को परेशानी , उच्चाधिकारियों से हानि और रोग व् शत्रु उभरने लगते है ।

  • छठे भाव (6th house) मेंइस भाव में सूर्य शुभ होता है । इस भाव में सूर्य के आने पर रोग ,शत्रु ,परेशानियां शोक आदि दूर भाग जाते हैं ।
  • सप्तम भाव (7th house) मेंइस भाव में सूर्य यात्रा ,पेट रोग , दीनता , वैवाहिक जीवन के कष्ट देता है स्त्री – पुत्र बीमारी से परेशान हो जाते हैं ।पेट व् सिरदर्द की समस्या आ जाती है । धन व् मान में कमी आ जाती है ।
  • अष्टम भाव (8th house) मेंइस में सूर्य बवासीर , पत्नी से परेशानी , रोग भय , ज्वर , राज भय , अपच की समस्या पैदा करता है ।
  • नवम भाव (9th house) मेंइसमें दीनता ,रोग ,धन हानि , आपति , बाधा , झूंठा आरोप , मित्रो व् बन्धुओं से विरोध का सामना करन पड़ता है ।
  • दशम भाव (10th house) मेंइस भाव में सफलता , विजय , सिद्धि , पदोन्नति , मान , गौरव , धन , आरोग्य , अच्छे मित्र की प्राप्ति होती है ।
  • एकादश भाव (11th house) मेंइस भाव में विजय , स्थान लाभ , सत्कार , पूजा , वैभव ,रोगनाश ,पदोन्नति , वैभव पितृ लाभ । घर में मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं ।
  • द्वादश भाव (12th house) में इस भाव में सूर्य शुभ होता है ।सदाचारी बनता है , सफलता दिलाता है अच्छे कार्यो के लिए ,लेकिन पेट,नेत्र रोग और मित्र भी शत्रु बन जाते हैं ।

 

चन्द्र (Moon) गोचर फल

  • प्रथम भाव (1st house) मेंजब चन्द्र प्रथम भाव में होता है तो जातक को सुख, समागम, आनंद व् निरोगता का लाभ होता है । उत्तम भोजन,शयन सुख , शुभ वस्त्र की प्राप्ति होती है ।
  • द्वितीय (2nd house) भावइस भाव में जातक के सम्मान और धन में बाधा आती है ।मानसिक तनाव ,परिवार से अनबन , नेत्र विकार , भोजन में गड़बड़ी हो जाती है । विद्या की हानि , पाप कर्मी और हर काम में असफलता मिलने लगती है ।
  • तृतीय भाव (3rd house) में इस भाव में चन्द्र शुभ होता है ।धन, परिवार ,वस्त्र , निरोग , विजय की प्राप्ति शत्रुजीत मन खुश रहता है , बंधु लाभ , भाग्य वृद्धि ,और हर तरह की सफलता मिलती है ।
  • चतुर्थ भाव(4th house) में  इस भाव में शंका , अविश्वास , चंचल मन , भोजन और नींद में बाधा आती है ।स्त्री सुख में कमी , जनता से अपयश मिलता है , छाती में विकार , जल से भय होता है ।
  • पंचम भाव (5th house) मेंइस भाव में दीनता , रोग ,यात्रा में हानि , अशांत , जलोदर , कामुकता की अधिकता और मंत्रणा शक्ति में न्यूनता आ जाती है ।
  • छठे भाव (6th house) में इस भाव में धन व् सुख लाभ मिलता है । शत्रु पर जीत मिलती है ।निरोय्गता ,यश आनंद , महिला से लाभ मिलता है ।
  • सप्तम भाव (7th house) मेंइस भाव में वाहन की प्राप्ति होती है। सम्मान , सत्कार ,धन , अच्छा भोजन , आराम काम सुख , छोटी लाभ प्रद यात्रायें , व्यापर में लाभ और यश मिलता है ।
  • अष्टम भाव(8th house) मेंइस भाव में जातक को भय , खांसी , अपच । छाती में रोग , स्वांस रोग , विवाद ,मानसिक कलह , धन नाश और आकस्मिक परेशानी आती है।
  • नवम भाव (9th house) मेंबंधन , मन की चंचलता , पेट रोग ,पुत्र से मतभेद , व्यापार हानि , भाग्य में अवरोध , राज्य से हानि होती है ।
  • दशम भाव (10th house) मेंइस में सफलता मिलती है । हर काम आसानी से होता है । धन , सम्मान , उच्चाधिकारियों से लाभ मिलता है । घर का सुख मिलता है ।पद लाभ मिलता है । आज्ञा देने का सामर्थ्य आ जाता है ।
  • एकादश भाव(11th house) में इस भाव में धन लाभ , धन संग्रह , मित्र समागम , प्रसन्नता , व्यापार लाभ , पुत्र से लाभ , स्त्री सुख , तरल पदार्थ और स्त्री से लाभ मिलता है ।
  • द्वादस भाव (12th house) में इस भाव में धन हानि ,अपघात , शारीरिक हानियां होती है ।

 

मंगल (Mars) ग्रह का गोचर फल

  • प्रथम भाव (1st house) मेंजब मंगल आता है ।तो रोग्दायक हो कर बवासीर ,रक्त विकार ,ज्वर , घाव , अग्नि से डर , ज़हर और अस्त्र से हानि देता है।
  • द्वितीय भाव (2nd house) मेंयहाँ पर मंगल से पित ,अग्नि ,चोर से खतरा ,राज्य से हानि , कठोर वाणी के कारण हानि , कलह और शत्रु से परेशानियाँ आती है ।
  • तृतीय भाव(3rd house)  इस भाव में मंगल के आ जाने से चोरो और किशोरों के माध्यम से धन की प्राप्ति होती है शत्रु डर जाते हैं । तर्क शक्ति प्रबल होती है। धन , वस्त्र , धातु की प्राप्ति होती है । प्रमुख पद मिलता है ।
  • चतुर्थ भाव(4th house) में यहं पर पेट के रोग ,ज्वर , रक्त विकार , शत्रु पनपते हैं ।धन व् वस्तु की कमी होने लगती है ।गलत संगती से हानि होने लगती है । भूमि विवाद , माँ को कष्ट , मन में भय , हिंसा के कारण हानि होने लगती है ।
  • पंचम भाव(5th house) यहाँ पर मंगल के कारण शत्रु भय , रोग , क्रोध , पुत्र शोक , शत्रु शोक , पाप कर्म होने लगते हैं । पल पल स्वास्थ्य गिरता रहता है ।
  • छठा भाव(6th house) यहाँ पर मंगल शुभ होता है । शत्रु हार जाते हैं । डर भाग जाता हैं । शांति मिलती है। धन – धातु के लाभ से लोग जलते रह जाते हैं ।
  • सप्तम भाव(7th house) इस भाव में स्त्री से कलह , रोग ,पेट के रोग , नेत्र विकार होने लगते हैं ।
  • अष्टम भाव (8th house)मेंयहाँ पर धन व् सम्मान में कमी और रक्तश्राव की संभावना होती है ।
  • नवम भाव(9th house) यहाँ पर धन व् धातु हानि , पीड़ा , दुर्बलता , धातु क्षय , धीमी क्रियाशीलता हो जाती हैं।
  • दशम भाव(10th house)यहाँ पर मिलाजुला फल मिलता हैं,
  • एकादश भाव(11th house) यहाँ मंगल शुभ होकर धन प्राप्ति ,प्रमुख पद दिलाता हैं।
  • द्वादश भाव(12th house)  इस भाव में धन हानि , स्त्री से कलह नेत्र वेदना होती है ।

 

बुध (Mercury) ग्रह का गोचर फल

  • प्रथम भाव (1st house) में इस भाव में चुगलखोरी अपशब्द , कठोर वाणी की आदत के कारण हानि होती है ।कलह बेकार की यात्रायें । और अहितकारी वचन से हानियाँ होती हैं ।
  • द्वितीय भाव (2nd house) मेयहाँ पर बुध अपमान दिलाने के बावजूद धन भी दिलाता है ।
  • तृतीय भाव(3rd house)  यहाँ पर शत्रु और राज्य भय दिलाता है । ये दुह्कर्म की ओर ले जाता है ।यहाँ मित्र की प्राप्ति भी करवाता है ।
  • चतुर्थ भाव्(4th house)यहाँ पर बुध शुभ होकर धन दिलवाता है ।अपने स्वजनों की वृद्धि होती है ।
  • पंचम भाव (5th house)इस भाव में मन बैचैन रहता है । पुत्र व् स्त्री से कलह होती है ।
  • छठा भाव(6th house) यहाँ पर बुध अच्छा फल देता हैं। सौभाग्य का उदय होता है । शत्रु पराजित होते हैं । जातक उन्नतशील होने लगता है । हर काम में जीत होने लगते हैं।
  • सप्तम भाव(7th house)यहं पर स्त्री से कलह होने लगती हैं ।
  • अष्टम भाव(8th house)यहाँ पर बुध पुत्र व् धन लाभ देता है ।प्रसन्नता भी देता है ।
  • नवम भाव(9th house) यहाँ पर बुध हर काम में बाधा डालता हैं ।
  • दशम भाव(10th house) यहाँ पर बुध लाभ प्रद हैं। शत्रुनाशक ,धन दायक ,स्त्री व् शयन सुख देता है ।
  • एकादश भाव (11th house) मेंयहाँ भी बुध लाभ देता हैं । धन , पुत्र , सुख , मित्र ,वाहन , मृदु वाणी प्रदान करता है।
  • द्वादश भाव(12th house)  यहाँ पर रोग ,पराजय और अपमान देता है।

 

गुरु (Jupiter) ग्रह का गोचर फल

  • प्रथम भाव (1st house) मेंइस भाव में धन नाश ,पदावनति , वृद्धि का नाश , विवाद ,स्थान परिवर्तन दिलाता हैं ।
  • द्वितीय भाव (2nd house) में यहाँ पर धन व् विलासता भरा जीवन दिलाता है ।
  • तृतीय भाव (3rd house) में  यहाँ पर काम में बाधा और स्थान परिवर्तन करता है।
  • चतुर्थ भाव (4th house) मेंयहाँ पर कलह , चिंता पीड़ा दिलाता है।
  • पंचम भाव(5th house) यहाँ पर गुरु शुभ होता है ।पुत्र , वहां ,पशु सुख , घर ,स्त्री , सुंदर वस्त्र आभूषण , की प्राप्ति करवाता हैं।
  • छथा भाव (6th house) मेंयहाँ पर दुःख और पत्नी से अनबन होती है।
  • सप्तम भाव(7th house) सैय्या , रति सुख , धन , सुरुचि भोजन , उपहार , वहां ।,वाणी , उत्तम वृद्धि करता हैं।
  • अष्टम भाव(8th house)यहाँ बंधन ,व्याधि , पीड़ा , ताप ,शोक , यात्रा कष्ट , मृत्युतुल्य परशानियाँ देता है।
  • नवम भाव (9th house) मेंकुशलता ,प्रमुख पद , पुत्र की सफलता , धन व् भूमि लाभ , स्त्री की प्राप्ति होती है।
  • दशम भाव (10th house) मेंस्थान परिवर्तन में हानि , रोग ,धन हानि होती है।
  • एकादश भाव(11th house) यहाँ शुभ होता हैं । धन ,आरोग्य और अच्छा स्थान दिलवाता है।
  • द्वादश भाव (12th house) मे यहाँ पर मार्ग भ्रम पैदा करता है।

 

शुक्र (Venus) ग्रह का गोचर फल

  • प्रथम भाव (1st house) में प्रभावजब शुक्र यहाँ पर होता है तब सुख ,आनंद ,वस्त्र , फूलो से प्यार , विलासी जीवन ,सुंदर स्थानों का भ्रमण ,सुगन्धित पदार्थ पसंद आते है ।विवाहिक जीवन के लाभ प्राप्त होते हैं।
  • द्वितीय भाव (2nd house) में यहाँ पर शुक्र संतान , धन , धान्य , राज्य से लाभ , स्त्री के प्रति आकर्षण और परिवार के प्रति हितकारी काम करवाता हैं।
  • तृतीय भाव(3rd house)   इस जगह प्रभुता ,धन ,समागम ,सम्मान ,समृधि ,शास्त्र , वस्त्र का लाभ दिलवाता हैं ।यहाँ पर नए स्थान की प्राप्ति और शत्रु का नास करवाता हैं।
  • चतुर्थ भाव(4th house)इस भाव में मित्र लाभ और शक्ति की प्राप्ति करवाता हैं।
  • पंचम भाव(5th house) इस भाव में गुरु से लाभ ,संतुष्ट जीवन , मित्र –पुत्र –धन की प्राप्ति करवाता है । इस भाव में शुक्र होने से भाई का लाभ भी मिलता है।
  • छठा भाव(6th house) इस भाव में शुक्र रोग , ज्वर ,और असम्मान दिलवाता है ।
  • सप्तम भाव(7th house) इसमें सम्बन्धियों को नास्ता करवाता हैं।
  • अष्टम भाव(8th house)इस भाव में शुक्र भवन , परिवार सुख , स्त्री की प्राप्ति करवाता है।
  • नवम भाव(9th house) इसमें धर्म ,स्त्री ,धन की प्राप्ति होती हैं ।आभूषण व् वस्त्र की प्राप्ति भी होती है।
  • दशम भाव(10th house) इसमें अपमान और कलह मिलती है।
  • एकादश भाव(11th house) इसमें मित्र ,धन ,अन्न ,प्रशाधन सामग्री मिलती है।
  • द्वादश भाव(12th house)  इसमें धन के मार्ग बनते हिया परन्तु वस्त्र लाभ स्थायी नहीं होता हैं।

 

  शनि (Saturn) ग्रह का गोचर फल

  • प्रथम भाव(1st house) इस भाव में अग्नि और विष का डर होता है। बंधुओ से विवाद , वियोग , परदेश गमन , उदासी ,शरीर को हानि , धन हानि ,पुत्र को हानि , फालतू घोमना आदि परेशानी आती है।
  • द्वितीय भाव (2nd house) इस भाव में धन का नाश और रूप का सुख नाश की ओर जाता हैं।
  • तृतीय भाव(3rd house)  इस भाव में शनि शुभ होता है ।धन ,परवर ,नौकर ,वहां ,पशु ,भवन ,सुख ,ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।सभी शत्रु हार मान जाते हैं।
  • चतुर्थ भाव (4th house)इस भाव में मित्र ,धन ,पुत्र ,स्त्री से वियोग करवाता हैं ।मन में गलत विचार बनने लगते हैं ।जो हानि देते हैं।
  • पंचम भाव(5th house) इस भाव में शनि कलह करवाता है जिसके कारण स्त्री और पुत्र से हानि होती हैं।
  • छठा भाव(6th house) ये शनि का लाभकारी स्थान हैं। शत्रु व् रोग पराजित होते हैं ।सांसारिक सुख मिलता है।
  • सप्तम भाव(7th house) कई यात्रायें करनी होती हैं । स्त्री – पुत्र से विमुक्त होना पड़ता हैं।
  • अष्टम भाव(8th house) इसमें कलह व् दूरियां पनपती हैं।
  • नवम भाव(9th house) यहाँ पर शनि बैर , बंधन ,हानि और हृदय रोग देता हैं।
  • दशम भाव(10th house) इस भाव में कार्य की प्राप्ति , रोज़गार , अर्थ हानि , विद्या व् यश में कमी आती हैं।
  • एकादश भाव(11th house) इसमें परस्त्री व् परधन की प्राप्ति होई हैं।
  • द्वादश भाव(12th house)  इसमें शोक व् शारीरिक परेशानी आती हैं।
  • शनि की २,१,१२ भावो के गोचर को साढ़ेसाती और ४ ,८ भावो के गोचर को ढ़ैया कहते हैं ।शुभ दशा में गोचर का फल अधिक शुभ होता हैं ।अशुभ गोचर का फल परेशान करता हैं ।इस उपाय द्वारा शांत करवाना चाहिए ।अशुभ दस काल मे शुभ फल कम मिलता हैं ।अशुभ फल ज्यादा होता हैं।
उपाय:
  • अशुभता का निवारण कैसे करेंजब सूर्य और मंगल अशुभ हो तो लाल फूल , लाल चन्दन ,केसर , रोली , सुगन्धित पदार्थ से पूजा करनी चाहिए। सूर्य को जलदान करना चाहिए ।शुक्र की पूजा सफ़ेद फूल, व् इत्र के द्वारा दुर्गा जी की पूजा करनी चाहिए। शनि की पूजा काले फूल ,नीले फूल व् काली वस्तु का दान करके शनि देव की पूजा करनी चाहिए। गुरु हेतु पीले फूल से विष्णु देव की पूजा करनी चाहिए। बुध हेतु दूर्वा घास को गाय को खिलाएं।