रविवर्जंद्वादशगैरनफा चन्द्रात द्वितीयगैः सुनफा

उभयस्थितैर्दुरूधरा केमद्रुम संग्यको$तो$न्य ।।

  • सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा से द्वादश मे स्थित हो तो अनफा योग होता है ।
  • सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा से द्वितीय भाव मे हो तो सुनफा योग होता है ।
  • सूर्य को छोड़कर कोई भी ग्रह चंद्रमा के दोनो ओर (द्वादश और द्वितीय ) मे हो तो दुरूधरा योग होता है ।
  • यदि कुंडली मे अनफा सुनफा दुरूधरा योग न हो तो केमद्रुम योग अवश्य होगा ।
  • जब सूर्य को छोड़कर चंद्रमा के द्वितीय एवं द्वादश मे कोई ग्रह नहीं होता है अर्थात् जब दोनो भाव रिक्त होता है
नोट:

(1) इन योगो मे राहु केतु की गणना नहीं किया जाता है क्योंकि राहु केतु छाया ग्रह है और अनफा सुनफा दुरूधरा केमद्रुम आदि योगो मे राहु केतु का कोई स्थान नहीं होता है भानस योगो मे सात ग्रह की ही गणना की जाती है अर्थात् चंद्रमा के द्वितीय द्वादश मे राहु केतु हो तो भी इनको रिक्त माना जायेगा और केमद्रुम योग होगा ।

(2)कुछ विद्वान कहते हैं कि चंद्रमा जब अकेला हो तभी केमद्रुम योग होगा किसी ग्रह की युति होने पर केमद्रुम योग नहीं होगा यह उचित नहीं है ना ही इस सूत्र मे ऐसी कोइ शर्त है फिर भी इस बात को लेकर विद्वानों मे विवाद होता ही रहता है ।

इस संबंध मे सर्वाथ चिंतामणि नामक ग्रंथ मे स्पष्ट निर्णय दिया गया है ।

केंद्रे शीतकरे$ वा ग्रहयुते केमद्रुमो नेष्यते

केचित्केंद्रनवांशकेष्वपि बदंत्युक्तिप्रसिद्धा ते ।।

अर्थ- चंद्रमा केंद्र मे हो या किसी ग्रह के साथ हो या केंद्र राशि के नवांश मे हो तो केमद्रुम योग नहीं होगा ये मत मान्य नहीं है ।अर्थात् चंद्रमा केंद्र मे हो या किसी ग्रह के साथ हो या केंद्र राशि के नवांश मे हो तो भी केमद्रुम योग होगा ऐसा शास्त्रों का निर्णय है ।

  • केमद्रुम योग वाले जातकों में गलत सोच, गलत निर्णय, समय पर कार्य न करना, आलसी होना, जिद्दी होना, ढीठ होना, क्रोधित होना तथा लापरवाह होना जैसे लक्षण पाया जाता है।
केमद्रुम योग का द्वादश भाव में फल इस प्रकार है :-

1-केमद्रुम योग लग्न भाव (Ascendant) से हो तो दु:खी ,रोगी, निर्धन, प्रायः विमार रहने वाला, होता है ।चंद्रमा वृषभ या कर्क राशि में हो तो प्रभाव कुछ कम होता है ।

नोट-

वृष और कर्क राशि में प्रभाव नहीं होता है ऐसी बात नहीं है बहुत से लोग इन राशियो को देखकर कह देते है केमद्रुम योग भंग है मगर ऐसी बात नहीं  है केमद्रुम योग का प्रभाव होता है मगर कम होता है।

2- केमद्रुम योग द्वितीय भाव(2ndhouse) से हो तो जातक मानसिक रोगी, चिड़चिड़ा, अशांत, बेवजह क्रोध करने वाला, नेत्र कष्ट, पारिवारिक कलह, और पाप वृत्ति हो जाती है।

3- केमद्रुम योग तृतीय भाव (3rdhouse) में हो तो आमदनी पर रोक, भाइ भतिजा पारिवारिक जनो से कष्ट, या उनकी हानि, भाग्यावरोध, शत्रु से हानि, मानसिक अशांति और वस्त्राभूषण की कमी होता है ।

4- केमद्रुम योग चतुर्थ भाव (4th house) से हो तो मानसिक अशांति, पेट में पीड़ा, जल से भय, अपमान जनक परिस्थिति में रहना पड़ता है।

5- केमद्रुम योग पंचम भाव(5th house) से हो तो प्रत्येक कार्य में असफल, अशांति, धन हानि, कमर में कष्ट, जोड़ो में दर्द, गठियाबाई, कफ प्रकोप से कष्ट, गले में खराबी तथा चोरों और जल जंतुओं से भय होता है।

6-  षष्ठम भाव (6th house) से हो तो आमदनी पर रोक, रोग वृद्धि, शत्रुभय, अपमानित होना, यात्रा में चोट लगना, चचेरे भाईयो से कष्ट, ननिहाल पक्ष में कष्ट विषेशकर पशु और शत्रु भय होता है ।

7-  सप्तम भाव (7th house) से हो तो पत्नि, व्यापार से संबन्धित कष्ट, पत्नि विमार रहे या क्रोधी या दरिद्र हो, व्यापार मे हानि होता है ।

8-  अष्टम भाव(8th house) से हो तो कब्ज, पेट में अन का न पचना, नाभि के आस पास कष्ट या आपरेशन, सर्प या जहरीले जंतुओं से भय, घुटनों में दर्द, पिशाच बाधा, मानसिक रोग से ग्रसित, होता है।

9- नवम भाव(9th house) से हो तो राजकीय परेशानी, राजदंड, भाग्यावरोध, लंबी यात्रा, संतान से कष्ट या झगड़ा, पेट संबंधी परेशानी, व्यापार मे हानि परन्तु औरतों का प्रिय होता है।

10-  दशम भाव(10th house) से हो तो सम्पुर्ण कार्यों में अलफलता, सेहत ठीक न रहना, नौकरी में अवनति और कारोबारी क्षेत्रों में संघर्ष करना पड़ता है।

11-  एकादश भाव (11th house) से हो तो हर प्रकार से धन हानि, आय का समुचित उपाय न होना, आमदनी में पग पग पर कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है

12-  द्वादश भाव(12th house)  से हो तो नेत्र पीड़ा, शारीरिक कष्ट, विशेष कर वांयीं आंख, गला, वांयी दाढ में कष्ट और नाना प्रकार के दुखो का सामना करना पड़ता है।

केमद्रुम भंग योग:

1- चंद्रमा पर अधिक ग्रहो की दृष्टि होने से केमद्रुम योग भंग हो कर धन संपत्ति आदि प्रदान करता है ।

2- चंद्र के साथ गुरु शुक्र बुध होने से केमद्रुम योग भंग हो जाता है।

3- चंद्रमा से केंद्र में गुरु होने से केमद्रुम योग भंग होता है ।

केमद्रुम योग का उपाय:

1- चंद्रमा का जप करे 11000×4=44000 तथा दशांश हवन, तर्पण मार्जन करे ।

2- कृष्ण पक्ष का जन्म हो तो चंद्र शुक्र यंत्र शुक्ल पक्ष एकादशी को धारण करे और शुक्ल पक्ष का जन्म हो तो गुरु चंद्रमा यंत्र पूर्णिमा को धारण करे ।