दुर्गा सप्तशती
- मां दुर्गा का शैल पुत्री रूप, जिनकी उपासना से मनुष्य को अन्नत शक्तियां प्राप्त होती हैं तथा उनके अाध्यात्मिक मूलाधार च्रक का शोधन होकर उसे जाग्रत कर सकता है, जिसे कुण्डलिनी-जागरण भी कहते है।
- मां दुर्गा का ब्रहमचारणी रूप, तपस्या का प्रतीक है। इसलिए जो साधक तप करता है, उसे ब्रहमचारणी की पूजा करनी चाहिए।
- च्रदघण्टा, मां दुर्गा का तीसरा रूप है और मां दुर्गा के इस रूप का ध्यान करने से मनुष्य को लौकिक शक्तिया प्राप्त होती हैं, जिससे मनुष्य को सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।
- मां दुर्गा की चौथी शक्ति का नाम कूष्माण्डा है और मां के इस रूप का ध्यान, पूजन व उपासना करने से साधक को रोगों यानी आधि-व्याधि से छुटकारा मिलता है।
- माँ जगदम्बा के स्कन्दमाता रूप को भगवान कार्तिकेय की माता माना जाता है, जो सूर्य मण्डल की देवी हैं। इसलिए इनके पुजन से साधक तेजस्वी और दीर्घायु बनता है।
- कात्यानी, माँ दुर्गा की छठी शक्ति का नाम है, जिसकी उपासना से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और अन्त में मोक्ष, चारों की प्राप्ति होती है। यानी मां के इस रूप की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाऐं पूरी होती हैं।
- मां जगदीश्वरी की सातवीं शक्ति का नाम कालरात्रि है, जिसका अर्थ काल यानी मुत्यृ है और मां के इस रूप की उपासना मनुष्य को मुत्यृ के भय से मुक्ति प्रदान करती है तथा मनुष्य के ग्रह दोषों का नाश होता है।
- आठवी शक्ति के रूप में मां दुर्गा के महागौरी रूप की उपासना की जाती है, जिससे मनुष्य में देवी सम्पदा और सद्गुणों का विकास होता है और उसे कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पडता।
- सिद्धीदात्री, मां दुर्गा की अन्तिम शक्ति का नाम है जो कि नवरात्रि के अन्तिम दिन पूजी जाती हैं और नाम के अनुरूप ही माँ सिद्धीदात्री, मनुष्य को समस्त प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं जिसके बाद मनुष्य को किसी और प्रकार की जरूरत नही रह जाती।
हिन्दु धर्म की मान्यतानुसार दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक हैं जिनकी रचना स्वयं ब्रह्मा, विश्वामित्र और वशिष्ठ द्वारा की गई है और मां दुर्गा के संदर्भ में रचे गए इन 700 श्लोकों की वजह से ही इस ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती है।