रानी पद्मिनी (पद्मावती) का इतिहास (पद्मावत)
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के किलों का इतिहास बड़ा ही रोचक है. यहाँ के किलों को सिर्फ यहाँ के राजपूतों की बहादुरी के लिए बस नहीं जाना जाता है, बल्कि इसे जाना जाता है यहाँ की सुंदर रानी पद्मावती या पद्मिनी के लिए. रानी पद्मावती के जीवन की कहानी वीरता, त्याग, त्रासदी, सम्मान और छल को दिखाती है. रानी पद्मिनी अपनी सुंदरता के लिए समस्त भारत देश में प्रसिद्ध थी. वैसे ऐसा कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि रानी पद्मिनी वास्तव में अस्तित्व में थी या नहीं. पद्मावत एक कविता थी, जिसे मालिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में लिखा, जिसमें पहली बार पद्मावती के बारे में लिखित दस्तावेज मिले थे, जो कि लगभग उस घटना के 240 सालों बाद लिखा गया था|
परिचय बिंदुपद्मावती जीवन परिचय
1. पूरा नामरानी पद्मिनी
2. जन्म स्थानसिंघाला
3. माता का नामचम्पावती
4. पिता का नामगंधर्भसेना
5. पति का नामराजा रावल रतन सिंह
6. मृत्यु1303 (चित्तोर)
रानी पद्मावती राजा गन्धर्व और रानी चम्पावती की बेटी थी. जो कि सिंघल कबिले में रहा करती थी. पद्मावती के पास एक बोलने वाला तोता ‘हीरामणि’ भी था, जो उनके बेहद करीब था. पद्मावती बहुत सुंदर राजकुमारी थी, जिनकी सुन्दरता के चर्चे दूर-दूर तक थे. पद्मावत कविता में कवी ने उनकी सुन्दरता को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है. उनके अनुसार पद्मावती के पास सुंदर तन था, अगर वे पानी भी पीती तो उनके गले के अंदर से पानी देखा जा सकता, अगर वे पान खाती तो पान का लाल रंग उनके गले में नजर आता
पद्मावती के लिए उनके पिता ने एक स्वयंवर आयोजित करवाया, जिसमें देश के सभी हिन्दू राजा, राजपूतों को आमंत्रण भेजा गया. मलकान सिंह जो एक छोटे से राज्य के राजा थे, उन्होंने सबसे पहले राजकुमारी पद्मावती का हाथ माँगा. चित्तोर के राजा रावल रतन सिंह भी इस स्वयंवर में गए थे, लेकिन उनकी पहली से 13 रानियाँ थी. रावल रतन सिंह ने मलकान सिंह को इस स्वयंवर में हरा दिया और रानी पद्मावती से विवाह कर लिया. वे अपनी पत्नी पद्मावती के साथ चित्तोर आ गए.