शिव को गुरु बनाने की विधि

अनाज से भी शिव होते हैं प्रशन्न  

शिव की पूजा में गेहूं से बने व्यंजन चढ़ाने पर कुंटुब की वृद्धि होती है. मूंग से शिव पूजा करने पर हर सुख और ऐश्वर्य मिलता है. चने की दाल अर्पित करने पर श्रेष्ठ जीवन साथी मिलता है. कच्चे चावल अर्पित करने पर कलह से मुक्ति और शांति मिलती है. तिलों से शिवजी पूजा और हवन में एक लाख आहुतियां करने से हर पाप का अंत हो जाता है. उड़द चढ़ाने से ग्रहदोष और खासतौर पर शनि पीड़ा शांति होती है.

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Shiva Guru Mantra

शिव अष्टकम

।। शिव अष्टकम ।। 

प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम । 

भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥१॥ 

गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम । 

जटाजूटगङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥२॥ 

मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं  तम । 

अनादिं ह्यपारं महामोहमारं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥३॥ 

तटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदा सुप्रकाशम । 

गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥४।

गिरीन्द्रात्मजासङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्निगेहम । 

परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्वन्द्यमानं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥५॥ 

कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदांभोजनम्राय कामं ददानम । 

बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥६॥ 

शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनॆशस्य मित्रम । 

अपर्णाकळत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥७॥ 

हरं सर्पहारं चिताभूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम । 

श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शंभुमीशानमीडे ॥८॥ 

स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणेः पठेत्सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । 

स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कळत्रं विचित्रैः समाराद्य मोक्षं प्रयाति ॥९॥ 

इति श्रीशिवाष्टकं संपूर्णम ॥

इसका पाठ करके शिव से प्राथना करके गुरु मंत्र धारण कर ले

 

पितृदोष और पितृशांति के लिए मंत्र

shiva guru mantra

shiva guru

Om Shiva Hansha.

मंत्र का जाप सुब-शाम किया जाता है.

परेशानी और संकट के समय कभी भी इस मंत्र का जाप किया जाता है.

जाप रुद्राक्ष की माला से जाप करना बेहतर होगा.

भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के सामने इस मंत्र का जाप करना चाहिए.

मंत्र जाप के पहले शिवजी को बेलपत्र और जल अर्पित करें.

देवो के देव महादेव भगवान शिव को गुरु बनाने की विधि

शिव गुरु को साक्षी मानकर किये गये कोई भी कार्य मे कभी रुकावटें नही आतीं। भगवान शिव गुरुओं के भी गुरु हैं। और जब गुरू शिव हों तो इष्ट कोई भी हो अभीष्ट की प्राप्ति हो ही जाती है। उनको गुरु बनाने की विधि नीचे है उसे अपनायें और अनंत सुखों की राह पर चल पड़ें।

  1. सबसे पहले मन को शांत करके ध्यान की मुद्रा मे आंखें बंद करके बैठ जायें। इसके बाद भगवान शिव से कहें-
    “हे शिव मै ‘अमुक नाम’ गोत्र ‘अमुक गोत्र’ आप को अपना गुरु बनाने का आग्रह कर रहा हूँ। आप मुझे शिष्य के रूप में स्वीकार करें”
  2. फिर दोनों ऊपर हाथ उठाकर ब्रह्मांड की तरफ देखते हुए 3 बार घोषणा करें-
    “मै ‘अमुक नाम’ गोत्र ‘अमुक गोत्र’ अखिल अन्तरिक्ष सम्राज्य में घोषणा करता हूं कि, शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं, शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं, शिव मेरे गुरु हैं मै उनका शिष्य हूं, तथास्तु घोषणा दर्ज हो” इससे भगवान शिव अपनी ही तय शास्त्रीय व्यवस्था के मुताबिक आग्रह करने वाले को शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं।
  3. शिव गुरु को साक्षी मानकर शुरु किये गए कार्यों में रुकावटें नही आती हैं, इसलिये जो भी काम करें उसके लिये भगवान शिव को पहले साक्षी बना लें और कहें-
    “हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं आपको साक्षी बनाकर ये कार्य करने जा रहा हूं, इसकी सफलता के लिये मुझे दैवीय सहायता और सुरक्षा प्रदान करें”
  4. फिर शिव गुरु से कम से कम तीन बार रोज कहें-
    ” हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें, हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें, हे शिव आप मेरे गुरु हैं मै आपका शिष्य हूं मुझ शिष्य पर दया करें.”
  5. फिर हर रोज शिव गुरु को नमन करें। इसके लिये शांत मन से कुछ मिनटों तक ” ॐ नमः शिवाय गुरवे, सच्चिदानन्द मूर्तये,
    निष्प्रपञ्चाय शान्ताय, निरालम्बाय तेजसे “
     का जाप करें।
  6. इसके बाद गुरु दक्षिणा के रूप मे “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की कम से कम एक माला का जाप प्रतिदिन करने का संकल्प लेकर शिव गुरु को अर्पित करें।