Vanspati Yakshini Mantra
बिल्व यक्षिणी – ॐ क्ली ह्रीं ऐं ॐ श्रीं महायक्षिण्यै सर्वेश्वर्यप्रदात्र्यै ॐ नमः श्रीं क्लीं ऐ आं स्वाहा ।
इस यक्षिणी की साधना से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
निर्गुण्डी यक्षिणी – ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः ।
इस यक्षिणी की साधना से विद्या – लाभ होता है ।
अर्क यक्षिणी – ॐ ऐं महायक्षिण्यै सर्वकार्यसाधनं कुरु कुरु स्वाहा ।
सर्वकार्य साधन के निमित्त इस यक्षिणी की साधना करनी चाहिए ।
श्वेतगुंजा यक्षिणी – ॐ जगन्मात्रे नमः ।
इस यक्षिणी की साधना से अत्याधिक संतोष की प्राप्ति होती है ।
तुलसी यक्षिणी – ॐ क्लीं क्लीं नमः ।
राजसुख की प्राप्ति के लिए इस यक्षिणी की साधना की जाती है ।
कुश यक्षिणी – ॐ वाड्मयायै नमः ।
वाकसिद्धि हेतु इस यक्षिणी की साधना करें ।
पिप्पल यक्षिणी – ॐ ऐं क्लीं मे धनं कुरु कुरु स्वाहा ।
इस यक्षिणी की साधना से पुत्रादि की प्राप्ति होती है । जिनके कोई पुत्र न हो , उन्हें इस यक्षिणी की साधना करनी चाहिए ।
उदुम्बर यक्षिणी – ॐ ह्रीं श्रीं शारदायै नमः ।
विद्या की प्राप्ति के निमित्त इस यक्षिणी की साधना करें ।
अपामार्ग यक्षिणी – ॐ ह्रीं भारत्यै नमः ।
इस यक्षिणी की साधना करने से परम ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
धात्री यक्षिणी – ऐं क्लीं नमः ।
इस यक्षिणी के मंत्र – जप और करने से साधना से जीवन की सभी अशुभताओं का निवारण हो जाता है ।
सहदेई यक्षिणी – ॐ नमो भगवति सहदेई सदबलदायिनी सदेववत् कुरु कुरु स्वाहा ।
इस यक्षिणी की साधना से धन – संपत्ति की प्राप्ति होती है । पहले के धन की वृद्धि होती है तथा मान – सम्मान आदि इस यक्षिणी की कृपा से सहज ही प्राप्त हो जाता है ।