Ahoi Ashtami 2019 Vrat Katha in Hindi

अहोई अष्टमी  Ahoi Ashtami 2019

पुत्रों की भलाई के लिए माताएं अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से लेकर गोधूलि बेला  तक उपवास करती हैं। शाम के वक्त आकाश में तारों को देखने के बाद व्रत तोड़ने का विधान है। चंद्र दर्शन में थोड़ी परेशानी होती है, क्योंकि अहोई अष्टमी की रात चन्द्रोदय देर से होता है। नि:संतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति की कामना से भी अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं।
 

अहोई अष्टमी Ahoi Ashtami 2019 व्रत विधि

 
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने और पूजा के समय ही पुत्र की लंबी अायु और सुखमय जीवन के लिए अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प लिया जाता है। अनहोनी से बचाने वाली माता देवी पार्वती हैं इसलिए इस व्रत में माता पर्वती की पूजा की जाती है। अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता के चित्र के साथ ही स्याहु और उसके सात पुत्रों की तस्वीर भी बनाई जाती है। माता जी के सामने चावल की कटोरी,  मूली, सिंघाड़ा अादि रखकर कहानी कही और सुनी जाती है। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखते हैं। इसमें उपयोग किया जाने वाला करना वही होना चाहिए, जिसे करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो। दिवाली के दिन इस करवे का पानी पूरे घर में भी छिड़का जाता है। शाम में इन चित्रों की पूजा की जाती है। लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दिया जाता है। अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाने का विधान है, जिसे स्याहु कहते हैं। स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है।
 

Ahoi Ashtami 2019 अहोई अष्टमी व्रत 2018 

 
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 31/अक्टूबर/2018 को 11.09 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – 1/नवम्बर/2018 को 09.10 बजे
 

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त

 
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – शाम 5.32 से 6.51
अवधि – 1 घंटा 18 मिनट
तारों को देखने के लिये शाम का समय – 06.01
अहोई अष्टमी की रात चन्द्रोदय – 11.50
 
 

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