नक्षत्रों के वेद मंत्र Naksatro ke Ved Mantra
27 नक्षत्रों के वेद मंत्र
अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्रायदद्युरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: 5000
भरणी नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ यमाय त्वाङ्गिरस्य्ते पितृिमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे । 10000
कृतिका नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अयमग्नि सहस्रीणो वाजयस्य शान्ति (गुं) वनस्पति: मूर्द्धा कबोरयीणाम् । अग्नये नम: 10000
रोहिणी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचे वेन आवय: सबुधन्या उपमा अस्यविष्ठा: सतश्चयोनिमसतश्चविध:I ॐ ब्रहमणे नम: 5000
मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ सोमोधनु (गुं) सोमाअवंतुमाशु (गुं) सोमवीर: कर्मणयंददाती यदत्यविदध्य (गुं) सभेयमपितृ श्रवणयोम। ॐ चन्द्रमसे नम: । 10000
आर्द्रा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यामुतते नम: । ॐ रुद्राय नम: ==10000
पुनर्वसु नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता: स पिता स पुत्र: विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातिमादितिर्रजनित्वम । ॐ आदित्याय नम: ।10000
पुष्य नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतमज्जनेषु । यदीदयच्छवस ॠत प्रजात तदस्मासु द्रविणम धेहि चित्रम । ॐ बृहस्पतये नम: ।10000
अश्लेषा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:। ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: । ॐ सर्पेभ्यो नम:10000
मघा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: । प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।10000
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: । भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: । भगाय नम: ।==10000
उत्तराफालगुनी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत (गुं) रथेन सूर्य्यतव्चा । मध्वायज्ञ (गुं) समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम । ॐ अर्यमणे नम: ।==5000
हस्त नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति । ॐ सावित्रे नम: 5000
चित्रा नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम । द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: । त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: 5000
स्वाती नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर: स्वपत्थ्या निचक्रु: ।ॐ वायव नम: 5000
विशाखा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ इन्द्रान्गी आगत (गुं) सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम । अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।10000
अनुराधा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत (गुं) सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश (गुं) सत । ॐ मित्राय नम:
10000
ज्येष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ त्रातारभिंद्रमबितारमिंद्र (गुं) हवेसुहव (गुं) शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं पुरुहूतभिंद्र (गुं) स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: । ॐ इन्द्राय नम: ।5000
मूल नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि (गुं) स्वयोनावभारुषा तां विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त । ॐ निॠतये नम:
5000
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम:
5000
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा: विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।
10000
श्रवण नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।==10000
धनिष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम । देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: । ॐ वसुभ्यो नम:
10000
शतभिषा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि । ॐ वरुणाय नम: ।
10000
वीरभद्र पूजन
पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु ।
ॐ अजैकपदे नम:।
5000
उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि (गुं) सो निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) । ॐ अहिर्बुधाय नम:
1000
रेवती नक्षत्र वेद मंत्र
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन । स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम:
10000
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नक्षत्र का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं,
चन्द्रमा का एक राशिचक्र 27 नक्षत्रों में विभाजित है, इसलिए अपनी कक्षा में चलते हुए चन्द्रमा को प्रत्येक नक्षत्र में से गुजरना होता है। आपके जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होगा, वही आपका जन्म नक्षत्र होगा। आपके वास्तविक जन्म नक्षत्र का निर्धारण होने के बाद आपके बारे में बिल्कुल सही भविष्यवाणी की जा सकती है। अपने नक्षत्रों की सही गणना व विवेचना से आप अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। इसी प्रकार आप अपने अनेक प्रकार के दोषों व नकारात्मक प्रभावों का विभिन्न उपायों से निवारण भी कर सकते हैं। नक्षत्रों का मिलान रंगों, चिन्हों, देवताओं व राशि-रत्नों के साथ भी किया जा सकता है।
गंडमूल नक्षत्र
अश्विनी, आश्लेषा, मघा, मूला एवं रेवती ये छ: नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहे गए हैं !इनमें किसी बालक का जन्म होने पर 27 दिन के पश्चात् जब यह नक्षत्र दोबारा आता है तब इसकी शांति करवाई जाती है ताकि पैदा हुआ बालक माता- पिता आदि के लिए अशुभ न हो ! संस्था में गंडमूल दोष निवारण की विशेष सुविधा उपलब्ध है !
शुभ नक्षत्र
रोहिणी, अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, पुनर्वसु, अनुराधा और स्वाति ये नक्षत्र शुभ हैं !इनमें सभी कार्य सिद्ध होते हैं !
मध्यम नक्षत्र
पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आर्द्रा, मूला और शतभिषा ये नक्षत्र मध्यम होते हैं ! इनमें साधारण कार्य सम्पन्न कर सकते हैं, विशेष कार्य नहीं !
अशुभ नक्षत्र
भरणी, कृत्तिका, मघा और आश्लेषा नक्षत्र अशुभ होते हैं !इनमें कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है !ये नक्षत्र क्रूर एवं उग्र प्रकृति के कार्यों के लिए जैसे बिल्डिंग गिराना, कहीं आग लगाना, विस्फोटों का परीक्षण करना आदि के लिए ही शुभ होते हैं