Lord Shri Ram Kundli

शनि-मंगल ने दिया था भगवान श्रीराम को राजभंग का योग Shri Ram Kundali

गुरु और चन्द्र लग्न में हैं। 5 ग्रह- शनि, मंगल, गुरु, शुक्र तथा सूर्य अपनी-अपनी उच्च राशि में स्थित हैं। गुरु कर्क राशि में उच्च का होता है। गुरु लग्न में चन्द्र के साथ स्थित है जिससे प्रबल कीर्ति देने वाला गजकेसरी योग बनता है।

मंगल सप्तम भाव में अपनी उच्च राशि मकर में स्थित होकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है। इस कुंडली में दो सौम्य ग्रहों- गुरु एवं चन्द्र को दो पाप ग्रह शनि एवं मंगल अपनी-अपनी उच्च राशि में स्थित होकर देख रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्रबल राजभंग योग बनता है। फलस्वरूप श्रीराम के राज्याभिषेक से लेकर जीवनपर्यंत सभी कार्यों में बाधाएं पैदा होती रहीं। जिस समय श्रीराम का राज्याभिषेक होने जा रहा था, उस समय शनि महादशा में मंगल का अंतर चल रहा था।

पंचम (विद्या) एवं नवम् (भाग्य) भाव पर गुरु की दृष्टि का प्रभाव यह रहा कि उन्होंने धर्म का पालन करने को ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य माना। श्रीराम के चरित्र से हम जितना भी सीख सकें, कम ही होगा। धर्म के पथ से वे कभी हटे नहीं।

रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र