Combustion

Combustion

COMBUSTION Combustion (asta) has a great significance or importance in the interpretation of horoscope. Planets become combust when they are within certain limits of the Sun. According to Surya Sidhanta, Combustion is one of the modes of conjunction. The limits are:-...

ज्योतिष योग

राजयोग चित्र योग परिभाषा :यदि द्वितीयेश नवमस्थ हो, नवमेश एकादशस्थ हो और एकादशेश उच्च हो तो चित्र योग का निर्माण होता है. (ज्योतिष रत्नाकर) फल:ऐसा जातक बहुत तीछ्ण बुद्धि वाला, अनेक विद्याओं का जानने वाला एवं विळ्ान में प्रवीण होता है.  राजयोग चामर योग परिभाषा :यदि...

योग (yog)

योग (yog) सूर्य और चन्द्र  निश्वित्त समय में आकाशीय वतुंलमार्ग (क्रान्तिघृत्त) के आरम्भ स्थान से जितने अंश के अन्तर में हों, उन दोनों के अंशो' को जोड़ कर उसमें १ ३ अंश २० क्ला का भाग देने से प्राप्त सख्वा३ अगर ७ और ८ के मध्य हो तो आठवाँ योग चलता है अगर सख्या" ८ या ९ के...

नक्षत्र (Nakstra)

सूर्यं और चन्द्र जिस अस्काशीय वृत्ताकार (वतुंलाकार) मार्ग से गति कस्ते हैं, उस वतुंल के एक समान २७ विभाग की सकल्पना३ है जैसे साईकिल के पहिये में आरे लगे होत्ते हैं, ठीक उसी प्रकार की यह रचना है । यह प्र…येकदृ विभाग नक्षत्र का विभाग कहलाता है आकाश में तारों के अनेक...

तिथि (Thithi)

एक तिथि अर्थात् चन्द्र और सूर्यं के मध्य बारह अंश का कोणीय अन्तर होने में लगने वाला समय । क्लिरि भी तिथि के पूरी होने में लगने क्ला समय सदैव बदलता रहता है । वह कम से कम २० घण्टों का और' अधिक से अधिक २७ घण्टों का हो सकता है जब सूर्य और चन्द्र के समय का कोणीय अन्तर...

स्वाति नक्षत्र Swati Nakshatra or Nakshatram

स्वाति नक्षत्र Swati Nakshatra or Nakshatram स्वाति नक्षत्र राशि पथ में १६६.४० से २००.०० अंशो के मध्य स्थित है इस का दूसरा नाम है मरुत,बात,समीकरण,वायु,|अरबी में इससे अल गफार कहते है |चित्र की तरह स्वाति नक्षत्र में भी केवल एक तारे की स्थिति मणि गयी है |यह नक्षत्र तुला...

2017 शनि राशि परिवर्तन

नव वर्ष 2017 में 26 जनवरी को रात्रि 7 बजकर 31 मिनट पर शनि का राशि परिवर्तन होगा। अलग-अलग राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा मेष मेष राशि का स्वामी मंगल शनि का मित्र ग्रह है। पिछले ढ़ाई वर्षों से मेष जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही थी। इसी कारण हो सकता है इन्हें पिछले...

ज्योतिष से जाने पिछले जन्म में आप क्या थे ?

गीताप्रेस गोरखपुर दवारा प्रकाशित परलोक और पुनर्जन्मांक पुस्तक में इस विषय पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया है। उसके अनुसार शिशु जिस समय जन्म लेता है। उस समय, स्थान व तिथि को देखकर उसकी जन्म कुंडली बनाई जाती है। उस समय के ग्रहों की स्थिति के अध्ययन के फलस्वरूप यह जाना...