Bhilat dev Katha By Guru Gaurav Arya
बात है ३००० हजार साल पुराणी शिप्रा तट पर है उज्जैन नगरी रिद्धि सिद्धि मंदिर है वही पर जहा शिप्रा मईया बहती है| एक मेंदाबाई और उसका पति था वह मध्य प्रदेश के हरसूद तहसील के आदिवासी ग्राम में गौली परिवार से सम्वन्धित थी. मैदा देवी परेशां होकर शिप्रा माता के पास आयी और कहने लगी में अपने प्राण त्याग कर दूंगी अगर मुझे संतान न हुई तो इतना सुनते ही शिप्रा माता प्रकट हुई और बोली सुनो मैदा बेकार की चिंता मत करो पुत्र जरूर होगा तुमको आशीष लो महाकाल की |
शिप्रा बोली उज्जैन छोड़ो और दक्षिण दिशा में जाओ जय जय कर करेगी दुनिया तेरे लाल की अगर तू सात दिन और सात रात पूजा करे महाकाल की |और अपने घर आकर अपने पति को साडी बात बताई की चलो हमें दक्षिण दिशा में जाना है और मर्ज़ी है माहाकाल की और इसी प्रकार सात दिन चल कर नर्मदा नदी को पर किया और स्नान कर रोले गौ में निवास किया और वही रहने लगी और आस लगाए रहे संतान की और जब मैदा देवी सुबह सुबह उठा कर मखान लगाती थी तो इसको आवाज पुरे चौरागढ़ में जाती थी | यह आवाज सुन कर पार्वती बोली हे स्वामी यह आवाज कहा से आती है तब शिव कहते है की मेरी आज्ञा से यह संतान की आस में यहाँ रहने आये है और ये मैदा देवी है |पारवती बोली हे स्वामी आप मैदा के यहाँ जाके काली गाये का दूध ले आओ |और इतने ही सुनते ही शिव वह चल दिए | और साधु के वेश में शिव वह गए तब भीक्षा मांगी तब मैदा देवी बोली कहा से आये है क्या इच्छा है आपकी |शिव बोले हे देवी में बड़ी दूर से आया मुझे कपल गाये का दूध लेने तेरे द्वार पे आया हु | देवी ने गाये का दूध दिया और शिव ने आशीर्वाद दे दिया पुत्र देहि भवा और फिर शिव दूध लेकर शिव चौरागढ़ पहुंचे और जैसे ही दूध रखा पूरा चौरागढ़ हिल गया और फिर शिव बोले में दूध ले आया लेकिन शिव बोले देवी मैदा की नसीब में संतान नहीं है और में विधि का विधान नहीं बदल सकता तभी पारवती कहती है की आओ चॉपर खेलते है और अगर में जीत गयी तो भाग्य बदल देना लेकिन देवी हार गयी और अपनी हार देख पारवती रूठ कर वन में चली गयी और अपनी छवि से भीलनी बना दी और शिव को भबूती देकर कहा की यह भबूती मैदा को देना और वो एक पुत्र को जनम देगी और वो एक पुत्र जनम देगी जिसे से बंगाल का भला होगा |और शिव मैदा के दर गए और कहा की में वही साधु जिसको तुमने कैला गाये का दूध दिया था और आज से मेरे मांग लो जो चाहिए | इतने में आँखों में आंसू लेकर मैदा बोली हे बाबा कोई चमत्कार कर दो और और मेरे पेट में बालक खेले और शिव ने भबूती दे दी और मैदा वो खा गयी |जैसे ही मैदा नै भबूती खायी मैदा के गर्भ में ६ महीने का बालक आ गया और शिव नै कहा की तेरे पुत्र बहुत शक्तिशाली होगा और इसका नाम जग में होगा |जैसे ही मैदा को पुत्र हुआ 7 माओ के गर्भ गिरे यह सब देख कर गाओ वाले ने मैदा को बहार का जानकार मारने के लिए आये यह देख कर मैदा बहुत दुखी हुई और बोली कैसा पुत्र पैदा हुआ |और मन ही मन महाकाल से प्राथना की और तुरंत ही भीलट ९ वर्ष के बन गए और बोले जाओ अपने घर देखो सब बालक खेल रहे है और फिर बालक बन गए ओर जब लोगो नै घर जाकर देखा तो सब बालक सोने के पालकी में खेल रहे थे और वो सातो बालक देव बने और भीलट उनके राजा बने | पारवती बोली हे शिव आप मैदा के घर जाकर भीलट को ले आओ और भीलट को शक्ति देनी है और ज्ञान देना है |और शिव वह जाकर शिव भीलट को ले आये और यह सब मैदा को पता लगा मैदा रोने लगी और कहने लगी “कौन ले गया बालक मेरा क्या हुआ मेरे लाल को मदद करो महाकाल जी” क्रोध में आयी देवी मैदा और शार्प देने लगी तभी शिव प्रकट हुए और बोले देवी में वो साधु जिसने भबूती दी थी तेरे बालक मेरे पास है चिंता मत कर अपने लाल की |शिव बोले तेरे पुत्र को बंगाल में भेजना है और वहा का उधार करना है |मैदा बोली मेरे पुत्र का नाम कारण नहीं हुआ है शिव बोले तेरे पुत्र का नामकरण हो चूका है |शिव बोले भीलनी रूप और गौरा की लत से भीलट हुआ है |मैदा बोले हे शिव कौन करेगा मेरे घर का काम तुरंत ही शिव नै जाता का बाल तोड़ कर दे दिया |और अपनी जट्ट को मसल कर शीलट बनाया और कहा यह तुम्हारे घर का सारा काम करेगा |और शिव भीलट को लेकर चौगढ़ आ गए और पारवती से कहा से ये लो भीलट को और बना दो सक्तिसाली और कर दो उद्धार बंगाल का |माँ पारवती ने भीलट को ६० विद्या दी और बंगाल का उधर करने हेतु भीलट को यह काम मिला |और शिव नै भीलट की परीक्षा ली और भीलट से कहा करो तयारी बार की और शिव के सारे बार को भीलट ने काट दिया और जैसे ही भीलट ने बार किया शिव आघात होकर भस्माकुंड में गिर गए |यह देख कर पारवती बोली ले लो अपना वार वापस भीलट और उन्होंने वापस ले लिया और शिव मान गए भीलट की शक्ति को | शिव नै अपने तन को मलकर भैरवो को उत्पन्न किया और आशीर्वाद देकर दोनों को बंगाल भेज दिया |दोनों की आयु ९ वर्ष थी और बंगाल की सीमा में दोनों का रास्ता जादूगरनी ने रोक दिया और भीलट देव ने एक ही बार में जादूगरनी के जाल को काट दिया |और आगे बढ़ कर भीलट ने भैरवो को अंगारे लेने भेज दिया और गांगुली तेलं जादूगरनी ने भैरवो को बैल बना दिया और यह सब देख कर भीलट को क्रोध आ गया और उन्होंने पुरे जगह में पानी सूखा दिया और और सबको प्यास से तड़पा दिया और यह देख कर सारी जादूगरनी भीलट के आगे आकर रोने लगी और कहने लगी की बंगाल का जादू आज से ख़तम हुआ हमें माफ़ कर दो और फिर भैरो और भीलट वापस चौरागढ़ आ गए और शिव ने कहा भीलट जाकर माँ बाप की सेवा करो