संतोषी माता की आरती (Shri Santoshi Mata Ji Ki Aarti)

संतोषी माता की आरती (Shri Santoshi Mata Ji Ki Aarti) जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता ॥ जय सुंदर चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो । हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो ॥ जय गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे । मंद हँसत करूणामयी, त्रिभुवन जन...

आरती कुंजबिहारी(Arti Kunj Bihari Ki )

आरती कुंजबिहारी(Arti Kunj Bihari ki ) आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला। गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली । लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,...

श्री सरस्वती आरती (Shri Saraswati Aarti)

श्री सरस्वती आरती (Shri Saraswati Aarti) कज्जल पुरित लोचन भारे, स्तन युग शोभित मुक्त हारे | वीणा पुस्तक रंजित हस्ते, भगवती भारती देवी नमस्ते॥ जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता | दगुण वैभव शालिनी ,त्रिभुवन विख्याता॥ जय सरस्वती माता ,जय जय हे सरस्वती माता |...

कालीमाता की आरती (Kali Mata Ji Aarti )

कालीमाता की आरती (Kali Mata Ji Aarti ) मंगल की सेवा सुन मेरी देवा ,हाथ जोड तेरे द्वार खडे। पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वाला तेरी भेट धरेसुन।।1।। जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे। सन्तन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जै काली कल्याण करे ।।2।। बुद्धि विधाता तू जग माता...

आरती बृहस्पति देवता की Aarti Brahspati Dev

आरती बृहस्पति देवता की जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा । छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ॥ तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता । सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥ तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण...

शनि देवजी की आरती (Shri Shani Dev Ji Ki Aarti )

शनि देवजी की आरती (Shri Shani Dev Ji Ki Aarti) जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय.॥ श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी। नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय.॥ क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय.॥...