Dhanishta Nakshatra in Hindi
- धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्मा जातक गू, गे नाम से जाना जा सकता है।
- मंगल इस नक्षत्र का स्वामी है, वहीं राशि स्वामी शनि है।
- मंगल का नक्षत्र होने से ऐसे जातक ऊर्जावान, तेजस्वी, पराक्रमी, परिश्रम के द्वारा सफलता पाने वाला होता है।
- मेष लग्न में सशस्त्र स्वामी मंगल लग्न में गुरु भाग्येश की युति में हो तो ऐसे जातक स्वप्रयत्नों से सफलता पाते हैं।
- मंगल भाव में हो तो ऐसे जातक का भाग्य साथ देने वाला होता है। मंगल पंचम में भी शुभ फलदायी रहता है।
- वृषभ लग्न में मंगल नवम भाव में हो तो ऐसे जातक ऊर्जावान, शक्तिशाली, बाहर से लाभ पाने वाला सुखी संपन्न होता है।
- नक्षत्र स्वामी मंगल का सूर्य या गुरु के साथ हो तो ऐसे जातक धन संपन्न होते हैं।
- मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल दशम में हो तो कर्मानुसार आय का लाभ मिलता है।
- सप्तम में हो तो पत्नी, तृतीय हो तो साझेदारी, भाई, मित्र से लाभ मिलता है।
Dhanishta Nakshatra Mesh
मेष लग्न में सशस्त्र स्वामी मंगल लग्न में गुरु भाग्येश की युति में हो तो ऐसे जातक स्वप्रयत्नों से सफलता पाते हैं।
मंगल भाव में हो तो ऐसे जातक का भाग्य साथ देने वाला होता है। मंगल पंचम में भी शुभ फलदायी रहता है।
Dhanishta Nakshatra Vrishab
वृषभ लग्न में मंगल नवम भाव में हो तो ऐसे जातक ऊर्जावान, शक्तिशाली, बाहर से लाभ पाने वाला सुखी संपन्न होता है। नक्षत्र स्वामी मंगल का सूर्य या गुरु के साथ हो तो ऐसे जातक धन संपन्न होते हैं।
Dhanishta Nakshatra mithun
मिथुन लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल दशम में हो तो कर्मानुसार आय का लाभ मिलता है। सप्तम में हो तो पत्नी, तृतीय हो तो साझेदारी, भाई, मित्र से लाभ मिलता है।
Dhanishta Nakshatra kark
Muntha Different Houses
कर्क लग्न में मंगल दशम में हो तो पिता, राज्य, व्यापार से भाग्योदय होता है। माता-भूमि भवन से लाभ, नवम में हो तो भाग्य बलशाली होता है। षष्ठ में हो तो शत्रु न होकर भाग्यशाली, गुस्सैला भी हो सकता है। तृतीय एकादश में भी शुक्र फलदायी होगा।
Dhanishta Nakshatra Singh
सिंह लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल भाग्य नवम भाव में हो तो ऐसा जातक भाग्यशाली होता है, वहीं चतुर्थ भाव में हो तो ऐसे जातक को भूमि-भवन, माता एवं जनता से संबंधित कार्यों में लाभ मिलता है। लग्न में हो तो प्रभावशाली होकर भाग्य निरंतर साथ देता है। पंचम में हो तो संतान उत्तम होती है।
Dhanishta Nakshatra kanya
कन्या लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल चतुर्थ में हो तो भाइयों के सहयोग से लाभ मिलकर भूमि भवन का लाभ भी मिलता है। पंचम में हो तो स्वप्रयत्नों से विद्या लाभ मिलेगा। पत्नी गुस्सैली होगी। द्वादश में हो तो पराक्रम द्वारा विदेश या बाहर से लाभ मिलता है।
Dhanishta Nakshatra Tula
तुला लग्न में मंगल तृतीय में चतुर्थ में सप्तम में ठीक फल देगा। शनि की स्थिति उत्तम रही तो शुभ परिणाम में वृद्धि होगी। यदि शनि-मंगल साथ हो या दृष्टि संबंध रखते हो तो अशुभ फल अधिक मिलते हैं।
Dhanishta Nakshatra Vrishick
वृश्चिक लग्न में नक्षत्र स्वामी दशम हो तो व्यापार, प्रशासनिक, सेना, राजनीति से लाभ मिलता है। लग्न में हो तो साहसी, मेहनती, स्वप्रयत्नों से लाभ पाने वाला होता है। पंचम में हो तो विद्या, संतान, उत्तम हो, तृतीय में हो तो भाईयों व मित्रों से लाभ मिलता है।
Dhanishta Nakshatra Dhanu
धनु लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल नवम में भाग्य में संतान, विद्या उत्तम होती है। पंचम में हो तो आयु में कष्ट रहता है। बाहर से लाभ होता है। द्वितीय भाव में हो तो विद्या, कुटुंब, संतान आदि से लाभ पाए। शनि उच्च स्वराशि का हो तो उत्तम लाभ मिलता है।
Dhanishta Nakshatra makar
मकर लग्न में नक्षत्र स्वामी मंगल लग्न में, चतुर्थ में, एकादश में उत्तम लाभ मिलता है। ऐसा जातक राजनीति, पुलिस प्रशासन, खलनायक की भूमिका से भी लाभ पाने वाला होता है।
Dhanishta Nakshatra Kumbh
कुंभ लग्न में सप्तम में हो तो ससुराल एवं पत्नी से लाभ मिलता है। दशम में पिता, द्वादश में बाहर से तृतीय में स्व भुजबल से लाभ मिलेगा।
Dhanishta Nakshatra meen
Dhanishta Nakshatra
मीन लग्न में लग्न में हो तो स्वप्रयत्नों से धन, कुटुंब का लाभ मिले, भाग्य साथ देगा। दशम में पिता से, कर्म से लाभ, राजनीति में सफलता नवम में हो तो भाग्यशाली होगा। किसी भी लग्न में मंगल शनि से दृष्टि संबंध न रखने पर ही उत्तम फल मिलते हैं।