Dhanteras Puja, Dhanteras Meaning 2019
- धनतेरस की शाम को जब सूरज ढल जाए तो एक दीप जलाएं और उसमें करीब 13 कौड़ियां रखें और उस दीप से मां लक्ष्मी और धनकुबेर की पूजा करें। आधी रात के बाद 13 कौड़ियां घर के किसी कोने में गाड़ दें। ये उपाय आपके घर में धन की बरसात ले कर आएगा।
- धनतेरस पर कुबेर यंत्र खरीदें और इसे अपने घर, दुकान के गल्ले या तिजोरी में स्थापित करें। इसके बाद 108 बार इस मंत्र ‘’ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा ‘’ का जाप करें। ये मंत्र आपके धन की कमी के संकट को हर लेगा।
- घर में चांदी के 13 सिक्के रखें और केसर-हल्दी लगाकर इसकी पूजा करें। इससे घर में बरकत बढ़ती है।
- धनतेरस पर 13 दीप घर के अंदर और 13 दीप घर के बाहर दहलीज और मुंडेर पर रखें।
- दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजा होने के बाद हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है।
- दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी।
वास्तु दोष के उपाय
- 1 धनतेरस या दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर विधि-विधान पूर्वक इसकी स्थापना करें। यह यंत्र धन वृद्धि करता है।
- 2धनतेरस या दीपावली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। ये सबसे अचूक उपाय है।
- 3धनतेरस या दीपावली की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीए में थोड़ी केसर भी डालें।
- 4धनतेरस या दीपावली को विधिवत पूजा के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
- श्रीकनकधारा धन प्राप्ति व दरिद्रता दूर करने के लिए अचूक यंत्र है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है। इसका पूजन व स्थापना भी धनतेरस या दीपावली के दिन करें।
- धनतेरस या दीपावली की रात को शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें, जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं। ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं का मंत्र पढ़ें।
Dhanteras Muhurt Time 2019
- शुभ मुहूर्त की अवधि: 1 घंटा 55 मिनट
- प्रदोष काल: शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक
- वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक
- त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे
- त्रयोदशी तिथि खत्म: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे
Dhanteras Pujan धनतेरस पूजन
धनतेरस के दिन इस मुहूर्त में करें खरीदारी
- सुबह 07:07 से 09:15 बजे तक
- दोपहर 01:00 से 02:30 बजे तक
- रात 05:35 से 07:30 बजे तक
धनतेरस का त्यौहार और पूजन
धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और यमराज के लिए दीप देते हैं। जोके भगवन शनि के भाई है |धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है । धनतेरस का पर्व आयुर्वेद के देवता के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।जिनको धन्वन्तरि के नाम से जाना जाता है |
Dhanteras Mantra Hindi धनतेरस मंत्र
दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है:
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
इस दिन संध्या के समय कूड़े पर दीपक जलाना बड़ा ही शुभ मन जाता है |और निम्न मंत्र का जाप किया है
ॐ शं काल कालाये यमहै नमः
प्रदोषकाल (Dhanteras Muhurat)
दीपक को प्रदोष काल में ही जलाना चाहिए क्योंकि इस दिन प्रदोषकाल के समय दीपदान देना शुभ माना जाता है। दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 10 मिनट तक है। इस दिन कुबेर भगवान और लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से लेकर रात्रि 07 बजकर 06 मिनट तक है।
धनतेरस पर खरीद कैसे करे –
नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदना चाहिए । आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।पीतल या कांसा का बर्तन बहुत ही शुभ माना जाता है |
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha )
कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।
धनतेरस पूजन Dhanteras Pujan
धनतेरस पूजन Dhanteras Pujan
धनतेरस का त्यौहार और पूजन
धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और यमराज के लिए दीप देते हैं। जोके भगवन शनि के भाई है |धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है । धनतेरस का पर्व आयुर्वेद के देवता के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।जिनको धन्वन्तरि के नाम से जाना जाता है |
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi)
दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है:
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
इस दिन संध्या के समय कूड़े पर दीपक जलाना बड़ा ही शुभ मन जाता है |और निम्न मंत्र का जाप किया है
ॐ शं काल कालाये यमहै नमः
प्रदोषकाल (Dhanteras Muhurat)
दीपक को प्रदोष काल में ही जलाना चाहिए क्योंकि इस दिन प्रदोषकाल के समय दीपदान देना शुभ माना जाता है। दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 10 मिनट तक है। इस दिन कुबेर भगवान और लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से लेकर रात्रि 07 बजकर 06 मिनट तक है।
धनतेरस पर खरीद कैसे करे
नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदना चाहिए । आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।पीतल या कांसा का बर्तन बहुत ही शुभ माना जाता है |
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha )
कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।