जानिए शिवरात्रि के अचूक उपाय

शास्त्रों के अनुसार इसी दिन प्रलय आई थी । इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए सम्पूर्ण सृष्टि को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि भी कहा गया।इसी पवित्र दिन में भगवान शिव का तीनों भुवनों की परम सुंदरी,, परम शीलवती, परम सौभाग्यवती माँ गौरां ( पार्वती माँ ) से विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है ।

शिवरात्रि के दिन प्रात: सभी भक्तो को सूर्योदय से पूर्व जल में तिल डालकर “ॐ नम: शिवाये” अथवा “महामृत्युंजय मन्त्र” का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए ।

शिवरात्रि के दिन प्रदोष काल ( जब दिन और रात मिल रहे हो ) में भगवान शंकर की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए । मान्यता है कि प्रदोष काल में भोलेनाथ साक्षात शिवलिंग में विराजमान रहते है उस समय जो भी भक्त उनकी आराधना करके अपनी जो भी इच्छा प्रकट करता है प्रभु उसकी मनोकामना शीघ्र ही अवश्य पूर्ण करते है ।

शिवरात्रि के दिन ईशान कोण की तरफ मुँह करके पूजा करनी चाहिए । शास्त्रों के अनुसार ईशान कोण के स्वामी स्वयं भगवान शिव है । रात में पूर्व दिशा की तरफ दीपक जलाकर ईशान की तरफ मुँह करके पूजा करने से अभीष्ट लाभ की सिद्धि होती है समेत भय और संकट दूर होते है ।

महाशिवरात्रि Mahshivratri भगवान शंकर का सबसे प्रिय दिन है। इस दिन सभी शिवभक्त, शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद , भाँग, धतूरा, शमी पत्र, बेल-पत्र आदि चढ़ाते हुए “हर हर महादेव” और :ॐ नम: शिवाय” का जाप करते उनका पूजन करते है उपवास रखते है और रात्रि को जागरण करते हैं। शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि को भगवान शिव की पूर्ण श्रद्धा से पूजा आराधना करने से जातक के समस्त जन्मो के पापों का नाश हो जाता है। उसकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है

दिव्य मातंगी कवच