Karan Pishachini Siddhi कर्ण पिशाचिनी सिद्धि

कर्ण पिशाचिनी की सिद्धि प्राप्त करना एक वाममार्गी साधना है और यह किसी भी सामान्य मनुष्य के लिए नहीं बनी है | यह साधना करने वाले व्यक्ति के कान के अंदर पिशाचिनी वस् जाती है

कर्ण पिशाचिनी

इसकी माता यक्षिणी है , यक्ष वो देवी देवता होते है जो श्रापित होते ,यह किसी कर्म का दंड प्राप्त कर रहे होते है , यह माफ़ नहीं करते और हर इच्छा को पूरा करते है यह मानव में वासना के गुण के रूप में आते है , यक्ष भी दर्शन देते है , यह भी देवी रूप में भक्त की हर इच्छा को पूर्ण करते है , ममता से भरी होती है , यह कोई भी मनोकामना पूर्ण कर सकती है जो कोई देवी देवता कर सकते है

साधना  विधि

शुद्ध होकर रात्रि में काँसे थाली में त्रिशूल बना कर उस त्रिशूल की आराधना करनी चाहिए और प्रातःकाल  शुद्ध होकर शुद्ध गाय के दूध से बना हुआ देशी घी का दीपक जलाना चाहिए

रात्रि में त्रिशूल की पूजा कर ग्यारह सौ बार जप करना चाहिए

साधना को  दिवाली यह होली के ग्रहण से प्रारम्भ करना चाहिए  रात में पहले आम पाटे पर गुलाल बिछा ले और अनार की लकड़ी से कलम बनाकर एक सौ आठ बार मंत्र लिखे और मिटाये साथ में उच्चारण करते हुए ग्यारह सौ बार मंत्र का जप करे

साधना मंत्र 

ॐ नम: कर्णपिशाचिनी मातः कारिणी प्रवेसः अतीतानागतवर्तमानानि सत्यं कथन स्वाहा

मध्य रात्रि में  इक्कीस दिनों तक प्रतिदिन पाँच हजार बार जप करने से  यह मंत्र सिद्ध हो जाता है यह जप गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिये

Tantra

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