मार्तंण्ड भैरव स्तोत्र

भैरवा ऊचुः
नमो मार्ताण्डनाथाय स्थाणवे परमात्मने |
भैरवाय सुभीमाय त्रिधाम्नेश नमो नमः || १ ||
मृतोद्धारणदक्षाय गर्भोद्धरणहेतवे |
तेजसां केतवे तुभ्यं हेतवे जगतामपि || २ ||
हिरण्यगर्भरूपाय धीप्रणोदाय ते नमः |
ओङ्कारव्याहृतिस्थाय महावीराय ते नमः || ३ ||
वीरेशाय नमस्तुभ्यं क्षेत्रेशाय नमो नमः |
वेदार्थाय च वेदाय वेदगर्भाय शम्भवे || ४ ||
विश्वामित्राय सूर्याय सूरये परमात्मने |
महाभैरवरूपाय भैरवानन्ददायिने || ५ ||
द्विविधध्वान्तध्वंसाय महामोहविनाशिने |
मायान्धकारनाशाय चक्षुस्तिमिरभञ्जिने || ६ ||
मन्त्राय मन्त्ररूपाय मन्त्राक्षरविचारिणे |
मन्त्रवाच्याय देवाय महामन्त्रार्थदायिने || ७ ||
यन्त्राय यन्त्ररूपाय यन्त्रस्थाय यमाय ते |
यन्त्रैर्नियन्त्रैर्नियमैर्यमिनां फलदाय च || ८ ||
अज्ञानतिमिरध्वंसकारिणे क्लेशहारिणे |
महापातकहर्त्रे च महाभयविनाशिने || ९ ||
भयदाय सुशीलाय भयानकरवाय ते |
बीभत्साय च रौद्राय भीताभयप्रदायिने || १० ||
तेजस्वितेजोरूपाय चण्डायोग्राय ते नमः |
बीजाय बीजरूपाय बीजभर्गाय ते नमः || ११ ||
क्रोधभर्गाय देवाय लोभभर्गाय ते नमः |
महाभर्गाय वै तुभ्यं ज्ञानभर्गाय ते नमः || १२ ||
घोरभर्गाय ते तुभ्यं भीतिभर्गाय ते नमः |
सुशोकाय विशोकाय ज्ञानभर्गाय ते नमः || १३ ||
तत्त्वभर्गाय देवाय मनोभर्गाय वै नमः |
दारिद्र्यदुःखभर्गय कामभर्गाय ते नमः || १४ ||
हिंसाभर्गाय तामिस्रभर्गाय जगदात्मने |
अतिदुर्वासनाभर्ग नमस्ते भैरवात्मने || १५ ||
ध्यायन्ते यं भर्ग इति भर्गभर्गाय ते नमः |
रोगभर्गाय देवाय पापभर्गाय ते नमः || १६ ||
महापातकभर्गाय ह्युपपातकभर्गिणे |
महानिरयभर्गाय नृत्तभर्गाय ते नमः || १७ ||
क्लेशभर्गाय देवाय भौतिकघ्नाय ते नमः |
मृत्युभर्गाय देवाय दुर्गभर्गाय ते नमः || १८ ||
ध्यानाद्ध्यायन्ति यद्भर्गं यमिनः संयतेन्द्रियाः |
नाथाय भर्गनाथाय भर्गाय सततं नमः || १९ ||
वीरवीरेश देवेश नमस्तेऽस्तु त्रिधामक |
महामार्ताण्ड वरद सर्वाभयवरप्रद || २० ||
नमो वीराधिवीरेश सूर्यचन्द्रातिधामक |
अग्निधामातिधाम्ने च महामार्ताण्ड ते नमः || २१ ||
वीरातिवीर वीरेश घोरघोरार्तिघोरक |
महामार्ताण्डदेवेश भूयो भूयो नमो नमः || २२ ||
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