Mata sham Kaur Mohini history
देवी श्याम कौर मोहिनी साधना
यह साधना मोहिनी एकादशी को ,बृहस्पतिवार को,कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात 10 बजे से शुरू करके 4 बजे तक सुबह के पूर्ण करें।
यह सिद्धि सात्विक है किंतु सिद्ध होने के बाद इसके प्रयोग में तामसिक चीजो की जरूरत भी पड़ सकती है जैसे साधक कोई गलत कार्य करता है।इसमें मदिरा,अंडा,मांस,चिता की राख का भी प्रयोग होता है।
इस सिद्धि में चौमुखा दिया जलाया जाता है।
भोग में लौंग, इलायची,2 मीठे पान,मीठे बतासे,थोड़े से चावल,तुलसी पत्ते,मिश्री,माखन ,आटे का मीठा हलवा ,मिठाई,फल रखे जाते है।
सुगंध में साधक को चमेली के फूल,अगरबत्ती ,धूपबत्ती,इत्र रखना चाहिये।
काला कलवा चौसठ वीर, मेरा कलवा भागा तीर जहाँ जहाँ भेजू
वहां वहां जावे मेरे मन की आस पुरवे अपना मारा आप ही ढावे चालत
बान मारुं मन सावे इतना काम मेरा न करावे, अपनी माँ का दूध लजावे
मोहिनी वशीकरण के लिए साबर मंत्र भी काफी असरकारी होता है। इसके प्रयोग के लिए कोई भी रविवार उपयुक्त है। विधि की शुरुआत रात बारह बजे शांत-एकांत कमरे या खुले में उत्तर दिशा की ओर लाल रंग का आसन बिछा कर की जाती है। आवश्यक सामाग्री के तौर पर दो लौंगी, गूगल या लौबान की अगरबत्ती, दीपक, सरसों का तेल, पांच गुलाब के फूल और पांच किस्म की मिठाई है।आसन पर बैठकर अपने सामने फूल, लौंग, मिठाई रखें और सरसो तेल का दीपक जलाने के बाद गूगल या लौबान की अगरबत्ती जलाई जाती है। पूजन के इस साधारण तरीके के बाद प्रिय के नाम 41 बार साबर मंत्र का जाप किया जाता है। मंत्र जाप के बाद लौंगों पर फूंक मारना जरूरी है। फिर लौंग को संभालकर रख ली जाती है, जबकि फूल और मिठइयों को नदी में बहा दिया जाता है।
मोहनी मत्र बतानना आगे और है