Pitru Kavach in hindi

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥

Shani Samhita शनि संहिता

Shree Shani Samhita श्री शनि संहिता

Sarvartha Siddhi Yoga Meaning

संकल्प के किए गए देव कार्य या पितृ कार्य सर्वथा व्यर्थ हैं। संकल्प इस प्रकार किया जाता है, यथा-

‘ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु, ॐ नम: परमात्मने श्री पुराण पुरुषोत्तमस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्री ब्रह्मणो द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वराह कल्पे वैवस्वत् मन्वन्तरेअष्टाविंशतितमे कलियुगे कलि प्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भारतवर्षे भरत खण्डे आर्यावन्तार्गत ब्रह्मावर्तेक देशे पुण्यप्रदेशे (यदि विदेश में कहीं हो तो रेखांकित के स्थान पर उस देश, शहर, ग्राम का नाम बोलें।)

 हे पितृगण, मेरे पास श्राद्ध के लिए उपयुक्त अन्न-धन नहीं है तो केवल श्रद्धा-भक्ति इसे आप स्वीकारें। हम आपकी संतान हैं। हमें आशीर्वाद दें तथा ग‍लतियों एवं कमियों के लिए क्षमा करें तथा पूरा करने की शक्ति प्रदान करें।