धनतेरस पूजन Dhanteras Pujan
धनतेरस का त्यौहार और पूजन
धनतेरस का त्यौहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और यमराज के लिए दीप देते हैं। जोके भगवन शनि के भाई है |धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है । धनतेरस का पर्व आयुर्वेद के देवता के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है।जिनको धन्वन्तरि के नाम से जाना जाता है |
धनतेरस मंत्र (Dhanteras Mantra Hindi)
दीपदान के समय इस मंत्र का जाप करते रहना चाहिए:
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात सूर्यज: प्रीयतामिति॥
इस मंत्र का अर्थ है:
त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों। इस मंत्र के द्वारा लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
इस दिन संध्या के समय कूड़े पर दीपक जलाना बड़ा ही शुभ मन जाता है |और निम्न मंत्र का जाप किया है
ॐ शं काल कालाये यमहै नमः
प्रदोषकाल (Dhanteras Muhurat)
दीपक को प्रदोष काल में ही जलाना चाहिए क्योंकि इस दिन प्रदोषकाल के समय दीपदान देना शुभ माना जाता है। दीपदान का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 10 मिनट तक है। इस दिन कुबेर भगवान और लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 04 मिनट से लेकर रात्रि 07 बजकर 06 मिनट तक है।
धनतेरस पर खरीद कैसे करे –
नई चीजों के शुभ आगमन के इस पर्व में मुख्य रूप से नए बर्तन या सोना-चांदी खरीदना चाहिए । आस्थावान भक्तों के अनुसार चूंकि जन्म के समय धन्वंतरि जी के हाथों में अमृत का कलश था, इसलिए इस दिन बर्तन खरीदना अति शुभ होता है। विशेषकर पीतल के बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।पीतल या कांसा का बर्तन बहुत ही शुभ माना जाता है |
धनतेरस कथा (Dhanteras Katha )
कहा जाता है कि इसी दिन यमराज से राजा हिम के पुत्र की रक्षा उसकी पत्नी ने किया था, जिस कारण दीपावली से दो दिन पहले मनाए जाने वाले ऐश्वर्य का त्यौहार धनतेरस पर सायंकाल को यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। इस दिन को यमदीप दान भी कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है और पूरा परिवार स्वस्थ रहता है। इस दिन घरों को साफ-सफाई, लीप-पोत कर स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है और फिर शाम के समय रंगोली बना दीपक जलाकर धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी का आवाहन किया जाता है।