सूर्य साधना Surya Sadhna

अथ सूर्य साधना

सूर्य साधना

सूर्य साधना आस्था और अध्यात्म पर बहुत ही सरल तरीके से दी जा रही है |इस साधना की दीक्षा लेकर सूर्य देव की साधना की जाये तो मानव उच्च स्थान को पता है अगर आपकी कुंडली में सूर्य देव नीच अवस्था में है और लाभकारी नही है |तब सूर्य की नीचता को शांत करने के लिए इस साधना को करना चाहिए | सूर्य साधना में दीक्षा लेना आवश्यक है बिना दीक्षा साधना सफल नही होती योग्य गुरु  के संरक्षण में ही साधना करनी चाहिए |सूर्य जब  अपनी   नीचता को काम  कर ले  (यदि  कुंडली में नीच है ) तो आपको  कुछ दिक्कत आ सकती  है |जैसे  यश  में कमी बालो  का  झरना,  दिल  की परेशानी,  गंजापन,  घबराहट , और दिल  घबराना, आदि |
यदि सूर्य नवम भाव में नीच का है तो इंसान की कुंडली चाहे जितनी अच्छी हो भाग्य उसका साथ नही देता और वो आलसी और कुछ न कुछ कामो में रुकावट आने वाला हो जाता है खास कर सरकारी कार्यो में रुकाबट आना |

सूर्य मध्य भाग, वर्तुल मण्डल, अगुंल बारह, कलिंग देश, कश्यप गोत्र, रक्तवर्ण, सिहं राशि का स्वामी, वाहन सप्ताश्व, समिधा मदार।

कैसे करे सूर्य साधना 

शुक्ल पक्ष के किसी भी रवि से साधना को शुरू कर सकते है और अगले सात रविवार तक साधना को लगातार करे|

आवश्यक सामग्री 

गेहू ,तांबा,भोजपत्र और सूर्य यन्त्र,घी,लाल कपडा ,(मूंगा यदि संभव होतो),सफ़ेद चन्दन ,अष्ठगंध |

दानद्रव्य– माणिक्य (माणिक) सोना, ताँबा, गेहूँ, घी, गुङ, लाल कपङा, लाल फूल, केशर, मूँगा, लाल गऊ, लाल चन्दन, दान का समय अरुणोदय (सूर्योदय काल) ।धारण करने का रत्न-माणिक्य (माणिक) माला रुद्राक्ष या मूंगा |

साधना विधि 

सुबह जल्दी उठ कर सूर्यादय से पहले स्वछ होकर सफ़ेद या लाल या पीले वस्त्र धारण करे| और एकांत में अपने मंदिर में आसान (लाल रंग) पर बैठ जाये दिशा पूरब की होना आवश्यक है |भोजपत्र पर अनार की कलम से निम्न सूर्य यन्त्र की स्थापना करे और प्रत्येक रविवार को दान निकाल कर एक जगह एकत्र करते रहे (दान द्रव्ये जो संभव हो)निकाल दे |

  1. ॐ गणपतये नमः (२१ जाप )

2.एक माला या १०८ उचारण गुरु मंत्र के करे
फिर सूर्य देव को नमस्कार करे ध्यान करे |

अर्थात्‌- जपा (अढौल) के फूल के समान जिन सूर्य भगवान की कान्ति है और जो ‘कश्यप’ से उत्पन्न हुए हैं, अन्धकार जिनका शत्रु है, जो सभी प्रकार के पापों को नष्ट करते हैं उन सूर्य-भगवान को मैं प्रणाम करता हूँ।

ॐ सूर्याय नमः का जाप करते हुए अष्ठगंध से सूर्य यन्त्र का निर्माण करे  भोजपत्र पर 

वैदिक रवि मन्त्र    

     ॐ  आकृष्टोनेत्यस्य मन्त्रस्य हिरण्यस्तु:  सविता ।    

त्रिष्टुप्     सूर्य   प्रीत्यर्थ   जपे   विनियोग:।    

  ॐ  आकृष्णेनन रजसा वर्तमानो निवेशयन्न मृतंमर्त्य च।  

                      हिरण्ययेन सविसार थेनादेवोयाति  भुवनानिपश्यन्॥     ( ११ जाप )

तन्त्रोक्त रवि मन्त्र  

    ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।  अथवा  ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम:।

 जपसंख्या सात हजार या पञ्च माला

दोनों में से किसी एक मंत्र का ही जाप करे

सूर्य गायत्री मन्त्र    

ॐ सप्त तुरंगाय विद्दमहे  सहस्राय किरणाय धीमहि तन्नोरवि: प्रचोदयात्।  

अथवा    

 ॐ आदित्याय विद्दहे प्रभाकराय धीमहि तन्न: सूर्य प्रचोदयात्: ।।

(५ बार जाप करे )

सात रविवार नियम पूर्वक करने के बाद दान की सामग्री किसी ब्राह्मण को दान दे देवे यदि कोई ब्राह्मण नही मिले तो किसी पवित्र नदी से प्राथना करके भी सामग्री को प्रवाहित किया जा  सकता है |

 

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