Rashi ratan stone in Hindi
कोई भी रत्न राशि के अनुसार धारण नहीं किया जा सकता है क्यूंकि हो सकता है जो आपकी राशि है उसका राशि स्वामी अच्छा नहीं हो तो वह नुकसान दे सकता है| इसलिए कुंडली के अनुसार ही राशि का रतन धारण किया जा सकता है|
आप अपनी जानकारी यहाँ दीजिये हम आपको फ़ोन करके आपके राशि रतन के बारे में बतायंगे
मेष राशि
मेष राशि सूर्य के क्रांतिपथ में लगभग १.२ से २.८ घंटे तक खगोलीय देशान्तर में होता है. इसका अक्षांशीय विस्तार ३० डिग्री उत्तर से १० डिग्री दक्षिण तक है. मेष नेतृत्व का गुण प्रदान करता है. सजग और सक्रिय बनाये रखता है. इस लग्न की एक विशेषता यह भी है कि इससे प्रभावित व्यक्ति चुनौतियों के लिए सदैव तैयार होता है. जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए ये हमेशा तत्पर रहते हैं. इस राशि का नाकारात्मक पक्ष यह है कि इसमें क्रोध अधिक होता है. इससे प्रभावित व्यक्ति जल्दी किसी बात को लेकर उत्तेजित हो जाता है. इनमें हठ भी अधिक होता है. इस राशि वालो को मूंगा (Red coral), गारनेट (Garnette) या रेड एजेट (Red Agate) पहनने की सलाह दी जाती है.
वृष राशि
भचक्र की दूसरी राशि है वृष. क्रांति पथ में यह मेष और मिथुन के बीच होता है. इसका देशांतरीय विस्तार ३.२ से ५.८ घंटा है और अक्षांशीय विस्तार ३० डिग्री से भूमध्य रेखा तक है. इस राशि का साकारात्मक पक्ष है कि इससे प्रभावित व्यक्ति धन और भाग्य प्राप्त करता है. इनमें धैर्य होता है लेकिन शत्रु बली ही क्यों न हो अगर ठान ले तो उसे परास्त करके ही रहते हैं. इस राशि में परिश्रम का गुण भी होता है. ये अपने काम में सतत् लगे रहते हैं. अगर व्यक्ति पुरूष है तो महिलाओं के बीच लोकप्रिय होता है. इस राशि का नाकारात्मक पक्ष है अत्यधिक भावुक होना. इन्हें कोई भी आसानी से अपनी ओर मिला लेता है. इस लग्न व्यक्तियों को हीरा (diamond), अम्बर (Amber), ओपल (Opel), फिरोजा (Torquise) धारण करने की सलाह दी जाती है.
मिथुन राशि
तीसरी राशि मिथुन का स्थान वृष और कर्क के बीच है. इसका देशांतरीय विस्तार ६.१ से ८.४ घंटे तक है. अक्षांशीय विस्तार ३५ डिग्री उत्तर से १० डिग्री दक्षिण तक है. इस राशि का सकारात्मक पक्ष है संगीत एवं नृत्य से गहरा लगाव. खेल एवं कला के क्षेत्र में आगे रहना. सुन्दर और आकर्षक दिखना. कलहपूर्ण स्थिति में मध्यस्थ बनकर स्थिति को शांतिपूर्ण बनाना. इसका नाकारात्मक पक्ष है कि जिन्हें कामयाबी देर से मिलती है. इनके व्यवहार में बालपन झलकता है. इस लग्न के व्यक्ति को पन्ना (Emerald), जेड (Jade), पेरीडोट (Peridot) पहनना लाभदायक होता है.
कर्क राशि
चौथी राशि है कर्क. यह सूर्य के क्रांतिपथ में मिथुन और सिंह राशि के बीच होता है. इस राशि का विस्तार देशान्तर में ७.८ से ९.५ घंटे तक है. इसका अक्षांशीय विस्तार ३४ डिग्री उत्तर से ४ डिग्री दक्षिण है. इस राशि का गुण है किसी विषय को गहराई से समझना. जो व्यक्ति इस राशि से प्रभावित होता है उनमें दूसरो को समझने की अद्भुत क्षमता होती है. व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है. लिखने एवं बोलने की कला में व्यक्ति कुशल होता है. इस राशि का दूसरा पक्ष है अपने मन की करना. छोटी छोटी बातों पर रूठ जाना, अति संवेदनशील होना. कर्क लग्न का व्यक्ति सैर सपाटे का भी शौकीन होता है. मोती (Pearl), एजेट (Agate) एवं मूनस्टोन (Moonstone) धारण करने से कर्क राशि के लोगों को लाभ मिलता है.
सिंह राशि
पांचवीं राशि है सिंह. यह सूर्य की क्रांतिपथ में कर्क और कन्या राशि के बीच होता है. इसका आभासीय विस्तार ९.४ से १२ घंटे तक है. इस राशि का गुण है साहसी और नेतृत्व कुशल होना. यह राशि जितनी उदार है उतनी ही संघर्षशील भी है. इस राशि को नियमपालन और व्यवस्थित रहना पंसद है. इस राशि का नाकारात्मक पक्ष है क्रोधी होना. किसी भी चीज़ के लिए परवाह नहीं करना एवं आलसपन. इन्हें पित्त सम्बन्धी रोग होने की संभावना प्रबल रहती है. रेड ओपल (Red Opel), रूबी (Ruby) अथवा गारनेट (Garnet) रत्न धारण करना इन्हें लाभ देता है.
कन्या राशि
कन्या छठी राशि है. यह सूर्य के क्रांतिपथ में सिंह और तुला के बीच में स्थित होता है. इस राशि का देशांतरीय विस्तार ११.२ से १५.८ घंटा है. इसका अक्षांशीय विस्तार १५ डिग्री उत्तर से २३ डिग्री दक्षिण है. इस राशि की विशेषता है कि किसी भी कठिनाई एवं मुश्किलों से निकलने के लिए तेजी से प्रयास करते हैं और इनमें सफल भी होते हैं. कला एवं शिल्पशास्त्र के प्रति इनमें लगाव रहता है. प्रेम के विषय मे ये अधिक उत्साहित होते हैं. ये अपने परिवार और पत्नी एवं बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहते हैं. इस नक्षत्र के कुछ नाकारात्क पहलू भी हैं जैसे ये अत्यंतु भावुक होते हैं. विपरीत लिंग वाले व्यक्ति इन्हें विशेष आकर्षित करते हैं. अनजाने में ही किसी साजिश में फंस जाते हैं. इस राशि के व्यक्ति को पन्ना (Emerald), पेरीडोट (Peridot), ओनेक्स (Onix) अथवा फिरोजा (Torquise) धारण करना चाहिए.
तुला राशि
सूर्य के क्रांतिपथ में कन्या और वृश्चिक के बीच रहने वाली सातवीं राशि है. तुला इस राशि का देशांतरीय विस्तार १४.४ से १६ घंटा है जबकि अक्षांशीय विस्तार भूमध्य रेखा से ३० डिग्री दक्षिण है. इस राशि का साकारात्मक पहलू है अत्यधिक पैसा कमाने के लिए उत्सुक रहना. व्यापार में कुशलता का प्रदर्शन. अन्तर्राष्ट्री व्यापार में भी इन्हें सफलता मिलती है. मस्तिष्क संतुलत होता है. ये जासूसी में भी काफी आगे होते हैं. कला के क्षेत्र में से भी इनका विशेष लगाव होता है. नृत्य एवं रंगमंच में कामयाब होते है दिखने में सामान्य होते हैं. आमतौर पर यह राशि आयुष्मान होती है. इस राशि का नाकारात्मक पहलू है अपने वर्चस्व साबित करने के लिए उत्सुक रहना. अपने फायदे के लिए झूठ बोलना. ओपल (Opel), ब्लू डायमंड (Blue Diamond), स्फटिक (Crystals), ब्लू टोपाज (blue Topaz) इस राशि के लिए शुभ रत्न होता है.
वृश्चिक राशि
राशिचक्र की आठवीं राशि है वृश्चिक है. क्रांतिपथ में इसका स्थान तुला और धनु राशि के बीच है. इसका देशान्तरीय विस्तार लगभग १५. ८ से १८. ० घंटा है. वृश्चिक राशि का अक्षांशीय विस्तार १० से ४५ डिग्री दक्षिण में है. यह राशि वीर, साहसी एवं योद्धा के रूप में जाना जाता है. यह राशि कठोर मानी जाती है. इस राशि का विशेष गुण है जो भी लक्ष्य हो उसे किसी भी हाल में प्राप्त करना. इनमें सीखने की इच्छा बलवती होती है. इसलिए विषयों को जानने समझने के लिए धैर्य और शांतिपूर्वक ध्यान केन्द्रित रखते हैं. इस राशि का दूसरा पहलू है चालाकी और होशियारी. अपना काम निकलते ही पल्ला झाड़ना भी इन्हें खूब आता है. विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति इनका व्यवहार रूखा होता है. इन्हें टाईगर आई (Tiger eye), इंद्रगोप अथवा मूंगा (Red Coral) धारण करना चाहिए
धनुराशि
भचक्र की नौवीं राशि है धनु यह वृश्चिक और मकर राशि के बीच स्थित होता है. इस राशि का देशांतरीय विस्तार १७.६ से २०.८ घंटा होता है. इसका अक्षांशीय विस्तार १२ डिग्री उत्तर से ४५ डिग्री दक्षिण है. बेबीलोनिया की कथा में इसे युद्ध का देवता माना गया है. यह राशि दिखने में मजबूत और शक्तिशाली है. पैर मांसल होते हैं. किसी कार्य में आगे बढ़कर कार्य को अंजाम देते हैं. धन संचय की कला में काफी होशियार होते हैं. इनकी बातें प्रभावशाली और मोहित करने वाली होती है. अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सजग और तत्पर रहते हैं. इस राशि का कमजोर पक्ष है किसी कार्य को पूरा करने के लिए जरूरत से जल्दी जल्दबाजी दिखाना जिसके कारण बनता हुआ काम भी अधूरा रह जाता है. आमतौर पर कार्य को तेजी से करते हैं लेकिन कार्य पूरा किए बिना दूसरों के ऊपर कार्य सौप कर उस काम से हट जाते हैं. इन्हें पाचन सम्बन्धी परेशानियों का भी सामना करना होता है.
मकर राशि
मकर राशि भचक्र की दशवीं राशि है. इस राशि का स्थान सूर्य के क्रांतिपथ में धनु और कुम्भ राशि के बीच है. इस राशि का देशांतरीय विस्तार २०.३ से २२.२ घंटा है इस राशि का अक्षांशीय विस्तार ८ से २८ डिग्री दक्षिण में है. मकर राशि शिक्षा और पठन पाठन में रूचि रखता है. इसे संगीत और नृत्य भी काफी पसंद होता है. दूसरों की मदद एवं सहायता के लिए तैयार रहना भी इसका गुण है. इस राशि का गुण है कि इससे प्रभावित व्यक्ति जहां भी होता हैं शांति और सौहार्द बनाये रखने में योगदान देता है. मकर राशि का नाकारात्मक पहलू है कि इनके हिस्से में परिश्रम और चिंता अधिक होती है. परिवार से इन्हें विशेष सहयोग नहीं मिल पाता है. भाग्य देर से जागता है इसलिए मेहनत का फल भी देर से मिलता है. इस राशि से प्रभावित व्यक्तियों को रोज गारनेट (garnate), लेपिस (lapis) अथवा नीली (Ruby) पहनने की सलाह दी जाती है.
कुम्भ राशि
राशिचक्र की ग्यारहवीं राशि का देशांतरीय विस्तार २०.५ से २४ घंटा तक है. ३ डिग्री उत्तर से २५ डिग्री दक्षिण इसका अक्षांशीय विस्तार है. बेबिलोनिया के धर्म कथाओं में इसे समुद्र का देवता कहा गया है. इस राशि का सकारात्मक पहलू है गहरी अन्तर्दृष्टि, सिद्धांतों और नियम का पालन करना. इसके अंदर ज्ञान का भंडार होता है जो समय और जरूरत के समय दिखाई देता है. इन्हें मनोरंजन पंसद होता है. सीखने के प्रति उत्सुक और लगनशील होना. इसका नाकारात्मक पहलू है शारीरिक रूप से कमज़ोर दिखना, मन में पराजय की भावना. दूसरों से मिलना जुलना भी इन्हें विशेष पसंद नहीं होता है. इस राशि का रत्न है. नीलम (Blue Sapphire), लेपिस और नीली.
मीन राशि
मीन राशिचक्र की बारहवीं राशि है, इस राशि का अक्षांशीय विस्तार ३३ डिग्री उत्तर से ६ डिग्री दक्षिण में है इसका देशांतरीय विस्तार २२.८ से २२ घंटा है. क्रांतिपथ में यह कुम्भ और मीन राशि के बीच होता है. यह राशि की विशेषता है बुद्धिमानी और जीवन के प्रति उत्साहित होना. प्यार और दोस्ती के प्रति उर्जावान दिखना. हमेशा नया करने की चाहत भी इसमें होती है. यह राशि धर्म और अध्यात्म के प्रति श्रद्धावान बनाती है. इसका कमज़ोर पहलू है शारीरिक तौर पर मोटा दिखना, आलसपन और लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए अत्यधिक उत्साहित रहना. इनका रत्न है पुखराज (yellow sapphire) एवं टाटरी.
पुखराज रत्न Pukhraj ratan
पुखराज के लिए राशि Pukhraj for Rashi
धनु तथा मीन राशियों के जातकों के लिए पुखराज धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
पुखराज के फायदे Benefits of Pukhraj in Hindi
- पुखराज धारण करने से मान सम्मान तथा धन संपत्ति में वृद्धि होती है।
- यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता प्रदान करवाता है।
- इस रत्न से जातकों के मन में धार्मिकता तथा सामाजिक कार्य में रुचि होने लगती है।
- विवाह में आती रुकावटें तथा व्यापार में होता नुकसान से बचने के लिए भी पीला पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
पुखराज के स्वास्थ्य संबंधी लाभ Health Benefits of Pukhraj
ज्योतिषी मानते हैं कि जिन जातकों को सीने की दर्द, श्वास, गला आदि रोगों से परेशानी है तो उन्हें पुखराज धारण करना चाहिए।
अल्सर, गठिया, दस्त, नपुंसकता, टीबी, हृदय, घुटना तथा जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी पुखराज का उपयोग किया जाता है।
नीला पुखराज रत्न Neela pukhraj ratan
नीला पुखराज के लिए राशि (Blue Sapphire for Rashi)मकर तथा कुंभ राशि के जातकों के लिए नीलम या नीला पुखराज धारण लाभकारी साबित होता है। साथ ही जिन लोगों को शनि साड़ेसाती के प्रभावों से परेशानी हो रही हो उन्हें भी नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है।
नीला पुखराज के फायदे (Benefits of Neelam)
* नीला पुखराज धारण करने से मन अशांत नहीं होता है।
* माना जाता है कि नीलम धारण करने से ज्ञान तथा धैर्य की वृद्धि होती है।
* नीलम वाणी में मिठास, अनुशासन तथा विनम्रता पैदा करता है।
* राजनेताओं और राजनीति से जुड़े लोगों के लिए नीलम लाभकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इसे धारण करने से नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
* माना जाता है कि जो जातक तनाव तथा चिंताओं से घिरे हों उन्हें नीला पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।
स्वास्थ्य में नीला पुखराज का लाभ (Health Benefits of Blue Sapphire)
* ज्योतिषी मानते हैं कि लकवा, हड्डियों, दांतों और दमा की परेशानी से ग्रस्त रोगियों के लिए नीला पुखराज फायदेमंद हो सकता है।
* कहा जाता है कि नीला पुखराज पहनने से चर्म रोग तथा प्लेग जैसे बिमारियों से निजात मिलती है। ज्योतिषी शनि से प्रभावित रोगों और परेशानियों में भी नीलम या नीला पुखराज धारण करने की सलाह देते हैं।