वर्ताली मन्त्र
||ॐ ऐं ग्लौं ऐं नमो, भगवती वार्ताली वाराहि वाराह्मुखी, ऐं ग्लौं ऐं अंधे अन्धिनी नमो, रुंधे रुन्धिनी नमो, जम्भे जम्भिनी नमो, मोहे मोहिनी नमो, स्तम्भे स्तंभिनी नमो , ऐं ग्लौं ऐं सर्व दुष्ट प्रदुष्टानाम, सर्वेषां, सर्व वाक् पद चित्त चक्षु मुख गति जिह्वाम स्तम्भनम कुरु कुरु, ऐं ग्लौं ऐं ठ: ठ: ठ: ठ: हूँ फट ||
- आसन वस्त्र – लाल
- दिशा – पूर्व
- समय रात्रि
- कुल जाप – इक्कीस हजार
- हवन – काली मिर्च से 210 बार मन्त्र के आखिर में स्वाहा लगाकर करेंगे |
- अंत में 21 निम्बू काटकर सात्विक बलि देंगे |
- किसी गरीब महिला को वस्त्र दान करेंगे |