Shani Dosh Ke Upay in Hindi Shani Lal Kitab Upaye शनिदेव को प्रसन्न कंरने के बिलकुल सरल उपाय
श्री शनि संहिता के अनुसार हिन्दू धर्म परंपराओं में दण्डाधिकारी माने गए शनिदेव का चरित्र भी असल में, कर्म और सत्य को जीवन में अपनाने की ही प्रेरणा देता है। अगर आप शनिदेव को प्रसन्न कंरना चाहते हैं तो कुछ बिलकुल सरल और उतम उपाय हैं ! शनिवार का व्रत और शनिदेव पूजन किसी भी शनिवार के दिन शुरू कर सकते हैं। इस व्रत का पालन करने वाले को शनिवार के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके शनिदेव की पूजा करनी चाहिए । शुभ संकल्पों को अपनाने के लिए ही शनिवार को शनि पूजा व उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। यह दु:ख, कलह, असफलता से दूर रख सौभाग्य, सफलता व सुख लाती है। किसी भी तरह के शनि दोष से इस तरह आपको मुक्ति मिल सकती है, जानिए शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय:-
श्री शनि संहिता के अनुसार अगर आप शनि को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शुक्रवार की रात काला चना पानी में भिगोएं। शनिवार को वह काला चना, जला हुआ कोयला, हल्दी और लोहे का एक टुकड़ा लें और एक काले कपड़े में उन्हें एक साथ बांध लें। पोटली को बहते हुए पानी में फेंके जिसमें मछलियां हों। इसे प्रक्रिया को एक साल तक हर शनिवार दोहराएं। यह शनि के अशुभ प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं को समाप्त कर देगा।*
*इस तरीके से भी आप शनि देव को प्रसन्न रख सकते हैं, घोड़े की नाल शनिवार को किसी लोहार के यहां से इसे अंगूठी की तरह बनवा लें। शुक्रवार की रात इसे कच्चे दूध या साफ पानी में डूबा कर रख दें। शनिवार की सुबह उस अंगूठी को अपने बाएं हाथ की मध्यमा में पहन लें। यह आपको तत्काल परिणाम देगा।*
*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के चारों ओर सात बार कच्चा सूत लपेटें इस दौरान शनि मंत्र का जाप करते रहना चाहिए, यह आपकी साढ़ेसाती की सभी परेशानियों को दूर ले जाता है। धागा लपेटने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा और दीपक जलाना अनिवार्य है। साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को दिन में एक बार नमक विहीन भोजन करना चाहिए।*
*शनिदेव को आप काले रंग की गाय की पूजा करके भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए आपके गाय के माथे पर तिलक लगाने के बाद सींग में पवित्र धागा बांधना होगा और फिर धूप दिखानी होगी। गाय की आरती जरूर की जानी चाहिए। अंत में गाय की परिक्रमा करने के बाद उसको चार बूंदी के लड़्डू भी खिलाएं। यह शनिदेव की साढ़ेसाती के सभी प्रतिकूल प्रभावों को रोकता है।*
*शनि देव को सरसों का तेल बहुत ही पसंद है। शनि को खुश करने के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और उस पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। माना जाता है कि सूर्योदय से पूर्व पीपल की पूजा करने पर शनि देव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं।*
*शनिवार की शाम पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए, इसके बाद पेड़ के सात चक्कर लगाने चाहिए। इस पूजा के बाद किसी काले कुत्ते को 7 लड्डू खिलाने से शनि भगवान प्रसन्न होते हैं और सकारात्मक परिणाम देते हैं।*
*शनिवार के दिन आप अपने हाथ की लंबाई का 19 गुणा लंबा एक काला धागा लें उसे एक माला के रूप में बनाकर अपने गले में धारण करें। यह अच्छा परिणाम देगा और भगवान शनि को आप पर कृपावान बनाएगा।*
*किसी भी शनिवार आटे (चोकर सहित) दो रोटियां बनाएं। एक रोटी पर सरसों का तेल और मिठाई रखें जबकि दूसरे पर घी। पहली रोटी (तेल और मिठाई वाली) एक काली गाय को खिलाएं उसके बाद दूसरी रोटी (घी वाली) उसी गाय को खिलाएं। अब शनिदेव की प्रार्थना करें और उनसे शांति और समृद्धि की कामना करें।*
*शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए आपको उगते सूरज के समय लगातार 43 दिनों तक शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाना चाहिए। यह ध्यान में रखें कि शनि देव को प्रसन्न करने की यह विधि शनिवार के दिन ही आरंभ करनी चाहिए।*
*हर शनिवार बंदरों को गुड़ और काले चने खिलाएं, इसके अलावा केले या मीठी लाई भी खिला सकते हैं। यह भी शनिदेव के अशुभ प्रभाव को समाप्त करने में काफी मददगार होता है।*
भगवान शनिदेव की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें चन्दन लेपना चाहिए
भो शनिदेवः चन्दनं दिव्यं गन्धादय सुमनोहरम् |
विलेपन छायात्मजः चन्दनं प्रति गृहयन्ताम् ||
श्री शनि संहिता के अनुसार भगवान शनिदेव की पूजा में इस मंत्र का जाप करते हुए उन्हें अर्घ्य समर्पण करना चाहिए-*
ॐ शनिदेव नमस्तेस्तु गृहाण करूणा कर |
अर्घ्यं च फ़लं सन्युक्तं गन्धमाल्याक्षतै युतम् ||
इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री शनिदेव को प्रज्वलीत दीप समर्पण करना चाहिए
साज्यं च वर्तिसन्युक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेशं त्रेलोक्य तिमिरा पहम्. भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
*इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शनिदेव को यज्ञोपवित समर्पण करना चाहिए और उनके मस्तक पर काला चन्दन (काजल अथवा यज्ञ भस्म) लगाना चाहिए-*
परमेश्वरः नर्वाभस्तन्तु भिर्युक्तं त्रिगुनं देवता मयम् |
उप वीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
*इस मंत्र को पढ़ते हुए भगवान श्री शनिदेव को पुष्पमाला समर्पण करना चाहिए-*
नील कमल सुगन्धीनि माल्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृहयन्तां पूजनाय भो ||
*भगवान शनि देव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करते हुए उन्हें वस्त्र समर्पण करना चाहिए-*
शनिदेवः शीतवातोष्ण संत्राणं लज्जायां रक्षणं परम् |
देवलंकारणम् वस्त्र भत: शान्ति प्रयच्छ में ||
शनि देव की पूजा करते समय इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सरसों के तेल से स्नान कराना चाहिए
भो शनिदेवः सरसों तैल वासित स्निगधता |
हेतु तुभ्यं-प्रतिगृहयन्ताम् ||
*सूर्यदेव पुत्र भगवान श्री शनिदेव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करते हुए पाद्य जल अर्पण करना चाहिए-*
ॐ सर्वतीर्थ समूदभूतं पाद्यं गन्धदिभिर्युतम् |
अनिष्ट हर्त्ता गृहाणेदं भगवन शनि देवताः ।
*भगवान शनिदेव की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें आसन समर्पण करना चाहिए, श्री शनि संहिता के अनुसार
ॐ विचित्र रत्न खचित दिव्यास्तरण संयुक्तम् |
स्वर्ण सिंहासन चारू गृहीष्व शनिदेव पूजितः ||
*इस मंत्र के द्वारा भगवान श्री शनिदेव का आवाहन करना चाहिए-*
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||