पारद शिवलिंग साधना
|| ॐ ह्रीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं पारदाय क्रीं श्रीं ह्रीं ॐ ||
रोज मंत्र को १०८ बार जापे करे
जटिलतम रोगों में भी लाभप्रद है.
शिव रात्रि की प्रातः ६ से सात बजे तक स्नान आदि से निवृत्त होकर ईशान कोण की श्वेत (सफ़ेद) आसन पर बैठ कर लकड़ी के बजोट पर सफ़ेद वस्त्र बिछाकर शिवलिंग स्थापित करें, अब प्रारंभिक पूजन संपन्न कर गुरुदेव को और शिवलिंग को भस्म और धतूरे का फल अर्पण करें तथा गुरुदेव का आशुतोष स्वरूप का चिन्तन करें
आशुतोषम ज्ञानमयं कैवल्यफल दायकं,
निरान्तकम निर्विकल्पं निर्विशेषम निरंजनम् ||
सर्वेषाम हित्कारतारम देव देवं निरामयम,
अर्धचंद्रोज्जद् भालम पञ्चवक्त्रं सुभुषितम ||