Which mantra can be chanted without initiation
किसी मंत्र, बीज मंत्र या वैदिक मंत्र की महिमा सुनकर या पढ़ कर मनमाने ढंग से जप करने लगना ठीक नहीं है। उनका या तो कोई असर नहीं होता अथवा कई बार उलटा असर भी हो जाता है। वैदिक ध्वनियों की संख्या 64 है इन ध्वनियों में स्वर व्यंजन और बलाघातों एवं बदलती रहने वाली ध्वनियां और उनके संकेत को बताने वाले स्वर व्यंजन शामिल हैं।
ऐसे स्वर व्यंजनों की संख्या 64 है। अब इनमें से 51 स्वर व्यंजन ही पहचाने जाते हैं। 1965 के बाद इनमें तेजी से कमी आई है। और वे 45 या 47 ही रह गए हैं। बिना योग्य गुरु के बताए किए जाने वाले मंत्रों के लिए सख्ती से मनाही है। यह अद्वैत मंत्र है इसलिए साधक को भी अकेला कर देता है और संसारी रहने के लिए जिस कौशल और व्यवहार की जरूरत होती है, उन्हें भी अपने प्रभाव में लीन कर लेता या निगल जाता हैं। मानस जप में भले ही स्वरतंत्रों की स्फुट उपयोग न होता हो लेकिन उनकी मूक भूमिका तो रहती ही हैं। इसलिए योग्य गुरु के बताए बिना किसी मंत्र का जप नहीं करना चाहिए। बीज मंत्रों का तो कतई नहीं।